2011-11-14 17:36:33

विवाद का कारण विभिन्नता नहीं, त्रुटिपूर्ण समझदारी


नई दिल्ली,14 नवम्बर, 2011(कैथन्यूज़) "विवाद विभिन्नताओं से नहीं पर इसलिये उत्पन्न नहीं होता है जब व्यक्ति की समझदारी दूसरे के प्रति त्रुटिपूर्ण हो।"

उक्त बातें कार्डिनल तौराँन ने उस समय कहीं जब उन्होंने दिल्ली के विज्ञान भवन में अंतरधार्मिक वार्ता के लिये उपस्थित प्रतिनिधियों को संबोधित किया।

अंतरधार्मिक वार्ता के लिये बनी परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष तौराँन ने कहा कि हिन्दु धर्मग्रंत वेद इस बात को स्पष्ट रूप से कहते हैं कि "सत्य एक है पर बुद्धिमान इसे विभिन्न तरीकों से समझते हैं।

कार्डिनल ने कहा कि "प्रत्येक धर्म शांति का प्रचार करता है। भारत के साथ विश्व को भी शांति और सद्भावना की ज़रूरत है।"

कार्डिनल तौराँन असीसी में आयोजित अंतरधार्मिक प्रार्थना सभा के संदेशों के विस्तार के लिये चार दिवसीय दौरे पर भारत आये हुए हैं।

इस अवसर पर उपस्थित मुख्य अतिथि केन्द्रीय कानून और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा "शांति इच्छित फल नहीं है पर यह हमारे लिये निहायत ज़रूरी है।"

महात्मा गाँधी को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा कि अहिंसा सिर्फ हिंसा की अनुपस्थिति नहीं है पर इससे कई गुना बढ़कर है यह रचनात्मक उद्देश्यपूर्ण और अर्थपूर्ण है।

उन्होंने कहा, "हमें चाहिये कि हम 25 वर्ष पूर्व असीसी में शुरु किये गये अंतरधार्मिक वार्ता के लिये प्रसन्न हों और खुद को शांति के लिये समर्पित करें।"

उन्होंने कहा, "आपका एकत्र होना ही भारत में और विश्व रूपी मानव परिवार शांति लायेगा और हमें एक ऐसी शक्ति प्रदान करेगा जो हमें अंतिम लक्ष्य की ओर बढ़ने में मदद दे।"

इस अवसर पर उपस्थित जैन प्रतिनिधि आचार्य साध्वी साधनाजी ने कहा " हमें चाहिये कि हम अपने कलुषित मन को साफ करें ताकि तनाव रहित विश्व का निर्माण हो सके।"

दिल्ली के महाधर्माध्यक्ष विन्सेंट कोन्चेसाव ने कहा, " जैसा कि हमारी एक ही विरासत और मंजिल है हमें चाहिये कि हम शांति और सद्भावना के प्रचारक बनें।"

अन्तरधार्मिक सभा में संत पापा के राजदूत महाधर्माध्यक्ष साल्वातोरे पेन्नाकियो, भारतीय धर्माध्यक्षीय समिति के अध्यक्ष कार्डिनल ऑस्वाल्ड ग्रेशियस और सिरो मलाबार चर्च के मेजर महाधर्माध्यक्ष जोर्ज अलेन्चेरी भी उपस्थित थे।

इस सभा में हिन्दु, सिक्ख, बौद्ध, यहूदी और बाहई धर्मों के प्रतिनिधियों के अलावा बड़ी संख्या में पुरोहित, धर्मबहनें और लोकधर्मियों ने भी हिस्सा लिया।












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