बेरोजगारी, मानव एवं परिवार की मर्यादा के लिये एक खतरा
वाटिकन सिटी, 14 नवम्वर. 2011(सीएनए) संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने कहा "बेरोजगारी
मानव एवं परिवार की मर्यादा के लिये एक खतरा है।" संत पापा ने उक्त बातें उस समय कहीं
जब उन्होंने एक्वाडोर के धर्माध्यक्षीय समिति के सदस्यों से मुलाक़ात की। संत पापा
ने इक्वाडोर के धर्माध्यक्षीय समिति के अध्यक्ष महाधर्माध्यक्ष अन्तोनियो ए.यारजा को
लिखे अपने पत्र में कहा, "ईश्वर की योजना में मानव अपने आपको सह-सृष्टिकर्ता के रूप में
पाता है। यही कारण है कि बेरोज़गारी मानव की मर्यादा को क्षति पहुँचा सकता है। यह एक
ऐसी स्थिति पैदा कर सकता है जिसमें, जिस तरह से की अन्याय और ग़रीबी मानव को निराशा अपराध
और हिंसा की ओर ढकेल देते वैसा ही यह भी मानव की पहचान की रक्षा के लिये संकट भी पैदा
कर सकता है। विदित हो संत पापा का यह संदेश दक्षिण अमेरिकी धर्माध्यक्षों को संबोधित
किया है जो रोम में 9 से 12 नवम्बर तक द्वितीय इक्वेडेरियन राष्ट्रीय परिवार काँग्रेस
के लिये एक साथ जमा थे। संत पापा ने उन्हें आगाह किया कि बेरोजगारी की समस्या के
कई देशों में फैलने की आशंका है क्योंकि कई राष्ट्र आर्थिक मंदी या अन्य समस्यायें झेल
रहे हैं। पिछले अक्तूबर में अमेरिका के श्रमिक विभाग ने बेरोजगारी का दर 9 प्रतिशत
दिखलाया था अब यूरोपीय आयोग ने बतलाया कि यूरोपीय यूनियन की बेरोजगारी दर बढ़कर 9.7 हो
गयी है। संत पापा ने कहा, "गंभीर, कारगर और विवेकपूर्ण निर्णय लिये जाने की आवश्यकता
है ताकि सबों को स्थिर और मर्यादापूर्ण जीवन, और उचित वेतन वाले रोजगार की गारंटी मिल
सके।" श्रम के द्वारा बेरोजगार अपने जीवन की पवित्रता की तलाश करेंगे और समाज के
विकास में सक्रिय सहभागी होंगे जिससे उनका पारिवारिक जीवन सामंजस्यपूर्ण, समृद्ध और फलदायक
होगा। संत पापा ने कहा, "श्रम और आराम दोनों पारिवारिक जीवन से जुड़े हुए हैं। ये
परिवार के निर्णय में मदद देते हैं आपसी दाम्पत्य संबंध, माता-पिता और उनकी संतान को
प्रभावित करते हैं। इस प्रकार समाज और कलीसिया भी प्रभावित होती है। संत पापा ने
कहा, "आराम और श्रम दोनों के समिश्रण से हम ऐसे मानव बनते हैं जो ईश्वर प्रकृति
और पड़ोसियों के करीब हो। मानव को आराम चाहिये न केवल अपने कल्याण के लिये पर इसलिये
भी ताकि वह अपने परिवार, मित्र और ईश्वर के उपलब्ध हो सके।