पुणे, 111111 (ज़ेनित) अन्तरधार्मिक वार्ता के लिये बनी परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष
कार्डिनल जाँन लुईस तौराँन ने कहा है, " धर्म, शांति और एकता का एक माध्यम बने।"
कार्डिनल
तौराँन ने उक्त बातें उस समय कहीं जब उन्होंने मंगलवार 8 नवम्बर को पुणे में ‘हिन्दु-ईसाई
संबंध और न्याय, शांति व सद्भावना’ विषय पर आयोजित चार दिवसीय सेमिनार में उपस्थित 40
ईसाइयों और 30 हिन्दुओं को संबोधित किया।
उन्होंने कहा, " दुर्भाग्यवश अन्तरधार्मिक
रिश्तों में धर्म के नाम पर कतिपय लोगों में कुछ निहित स्वार्थ या कुछ अविश्वास का भाव
भी दिखाई देता रहा है।"
उन्होंने उपस्थित प्रतिनिधियों से अपील की है कि वे
ऐसे लोगों को अपना पीठ दिखायें जो धर्म के नाम पर घृणा का प्रचार करते हैं तथा एकता और
शांति के लिये कार्य करें।
कार्डिनल ने बल देकर कहा कि हिन्दु और ईसाई दोनों
धर्म एक ही दर्शन और मूल्य का प्रचार करते हैं। अगर विभिन्न धर्मों के धर्मानुयायी एक
साथ मिलकर कार्य करें तो फूट लाने वाली ताकतों पर काबू पाया जा सकता है।
कार्डिनल
तौराँन ने कहा कि सच्चे रिश्ते दूसरों का आदर करते हैं चाहे दूसरा व्यक्ति कोई भी क्यों
न हो।
अपने वक्तव्य के अंत में कार्डिनल तौराँन ने कहा कि वे अंतरधार्मिक सभा
से बहुत संतुष्ट हैं इसने उन्हें यह आशा प्रदान की है कि लोग एक दूसरे में सत्यता, भलाई
और पवित्रता को पहचान पायेंगे।
परमधर्मपीठीय समिति के एक सदस्य धर्माध्यक्ष थोमस
डाबरे ने कहा कि भारत एक बहु सांस्कृतिक और बहु धार्मिक समाज है, जहां अंतरधार्मिक वार्ता
जीवन का अभिन्न अंग बने।
विदित हो कि एक अरब से अधिक आबादी वाले देश मे ईसाइयों
की संख्या 2.3 प्रतिशत, हिन्दुओं की जनसंख्या 80 प्रतिशत और मुसलमान की जनसंख्या 13.4
प्रतिशत है।