इस्राएली रेलिजियस कौंसिल के सदस्यों के लिए संत पापा का सम्बोधन
वाटिकन सिटी 10 नवम्बर 2011 (सेदोक) संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने वाटिकन स्थित प्रेरितिक
प्रासाद में संत पापाओं के कमरे सभागार में इस्राएली रेलिजियस कौंसिल के सदस्यों का गुरूवार
को स्वागत कर उन्हें सम्बोधित किया जो पवित्र भूमि के धार्मिक समुदायों का प्रतिनिधित्व
कर रहे हैं । सबकी ओर से कहे गये स्वागत सम्बोधन के लिए धन्यवाद देते हुए संत पापा ने
कहा कि वर्तमान समय में विभिन्न धर्मों के मध्य संवाद पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो
रहा है ताकि हमारी परम्पराओं की अनेक पवित्र स्मृतियों के स्थल में रहनेवाले पवित्र भूमि
या होली लैंड के धार्मिक नेता एक दूसरे के प्रति परस्पर समझदारी और आदर भावना के माहौल
को उत्पन्न करें जो मैत्री और सुदृढ़ आस्था की ओर हमें अग्रसर करे। हाल ही में इटली
के असीसी नगर में धार्मिक नेताओं के साथ सम्पन्न बैठक के समय दिये गये अपने वक्तव्य का
स्मरण करते हुए संत पापा ने कहा कि हम दो प्रकार की हिंसा का सामना कर रहे हैं। एक ओर
धर्म के नाम पर हिंसा का उपयोग किया जाता है तो दूसरी ओर हिंसा ईश्वर को इंकार करने का
परिणाम है जो बहुधा आधुनिक समाज के जीवन की विशेषता है। इस परिस्थिति में धार्मिक नेताओं
के रूप में हमारा आह्वान किया जाता है कि शांति की शक्ति रूप में ईश्वर के साथ मानव के
सही जीवन संबंध की पुर्नपुष्टि करें। यह वह सत्य है जो हमारे दैनिक जीवन में और अधिक
प्रत्यक्ष बने। इसलिए वे पवित्र भूमि में विद्यमान सब धार्मिक परम्पराओं के सदस्यों और
नेताओं को भरोसा और संवाद के वातावरण का प्रसार करने के लिए उत्साहवर्द्धन करते हैं।
संत पापा ने कहा कि यह हमारी महान साझा जिम्मेदारी है कि अपने अपने धार्मिक समुदायों
को अन्य धर्मों की परम्पराओं के लोगों के साथ खुलेपन में सहयोग करने तथा उनके प्रति गहन
समझदारी दिखाने के लिए शिक्षित करें। दुर्भाग्यवश बहुधा हमारी दुनिया की सच्चाई है कि
पवित्र भूमि में भी हम विभाजित और त्रुटिपूर्ण हैं। हम सभी का आह्वान किया जाता है कि
और अधिक न्याय और मानव मर्यादा का प्रसार करें ताकि हमारी दुनिया और मानवीय आयाम को समृद्ध
बना सकें । संत पापा ने कहा कि विश्व में दीर्घकालीन शांति स्थापित करने के लिए सत्य,
प्यार और स्वतंत्रता सहित न्याय बुनियादी जरूरत है। मेलमिलाप के लिए साहस और दर्शन की
जरूरत होती है तथा ईश्वर पर भरोसा कि वे ही हमें रास्ता दिखायेंगे। हम अपने लक्ष्य नहीं
पा सकते हैं यदि ईश्वर हमें शक्ति नहीं देते हैं। संत पापा ने मई 2009 में सम्पन्न
अपनी येरूसालेम यात्रा का भी स्मरण करते हुए कहा कि ईश्वर येरूसालेम में शांति स्थापना
के लिए सदइच्छा वाले सब नर नारियों की प्रार्थना को सुनें और पूरा करें। हम शांति और
सांत्वनादाता प्रभु पर विश्वास रखते हुए होली लैंड में शांति के लिए सतत प्रार्थना करते
रहें।