रायगढ़, 5 नवम्बर, 2011(कैथन्यूज़) मध्यभारत के काथलिकों ने यूरोपीय मिशनरियों द्वारा
अपने पुरखों के जीवन में बोये गये विश्वास को पुनर्जीवित करने का संकल्प दुहराया है।
छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में 28 अक्तूबर को आयोजित मिशन काँग्रेस में बोलते हुए
रायगढ़ के धर्माध्यक्ष पौल लकड़ा ने कहा, " हमें येसु मसीह की ज्योति चाहिये ताकि क्षेत्र
से अंधकार दूर हो सके। "
विदित हो कि धर्माध्यक्षों की पहल पर 5 धर्मप्रांतों
के 200 पल्लियों से 1,600 प्रतिनिधियों ने एक मिशन काँग्रेस में हिस्सा लिया जिसमें उन्होंने
इस बात का दृढ़ मतलब बाँधा कि वे ग़ैर-ईसाइयों के बीच अपने विश्वास का साक्ष्य प्रस्तुत
करेंगे।
प्रतिनिधियों ने यूरोपीय मिशनरियों की भूरि-भूरि प्रशंसा की और कहा, मिशनरियों
के अथक प्रयास और कठिन परिस्थितियों में भी आरंभिक ईसाइयों के मजबूत विश्वास और साहस
के कारण ख्रीस्तीय विश्वास और आदिवासी समृद्ध संस्कृति अब भी जीवित है।
प्रतिनिधियों
ने संकल्प लिया कि वे काथलिक विश्वास को सुदृढ़ करेंगे और सामाजिक बुराइयों को दूर करने
के लिये सामुहिक कदम उठायेंगे विशेष करके - नशापान, मानव तस्करी और सरकारी भ्रष्टाचार
के खिलाफ।
उनका मानना है कि उक्त सामाजिक बुराइयाँ ही आर्थिक और आध्यात्मिक प्रगति
के मार्ग में बाधा बनी हुईं हैं।
जशपुर के उराँव आदिवासी धर्माध्यक्ष एम्मानुएल
केरकेट्टा ने कहा कि आरंभिक मिशनरियों ने क्षेत्र में शिक्षा का प्रसार किया और अब पूरे
देश और विदेशों में भी स्थानीय मिशनरी अपनी सेवायें दे रहे हैं।
विदित हो उराँव
आदिवासी बहुल छत्तीसगढ़ में राज्य की कुल जनसंख्या 20.8 मिलयन है और काथलिकों की संख्या
410, 035 है।