असीसी, इटली, 28 अक्तूबर, 2011 (एशियान्यूज़) असीसी में हुए एक दिवसीय प्रार्थना चिन्तन
और शांति अभिवादन के आदान-प्रदान के सम्मेलन में प्रतिनिधियों ने शांति के संबंध में
अपने विचार व्यक्त किये। न्याय एवं शांति के लिये बनी परमधर्मपीठीय परिषद के अध्यक्ष
कार्डिनल पीटर कोवदो अप्पियाह तुर्कसन ने कहा कि हम शांति के लिये कार्य करने के अपने
संकल्प को दुहरायें। कोन्सतनतिनोपल के एक्यूमिनिकल पैट्रियार्क ने कहा, " हमें चाहिये
कि हम धर्मों के संदेशों एवं प्रतीको को हिंसा के समर्थकों के द्वारा विरुपित होने से
बचायें।" अंगलिकन पैट्रियार्क रोवान डोगलस विलियम्स ने कहा, " स्थायी शांति की
शुरुआत तब होती है जब हम अपने पड़ोसी को अपने समान देख सकेंगे और यह तब शुरु होगा जब
हम अपने पड़ोसी को अपने समान प्यार करेंगे।" फ्रांस के अरमेनियन अपोस्तोलिक महाधर्माध्यक्ष
ने कहा, आपसी क्षमा न्याय की पुकार को न कुचले और सत्य और न्याय के मार्ग को अवरुद्ध
न करे बल्कि सत्य मेल-मिलाप के वास्तविक स्थिति का प्रतिनिधित्व करे। वर्ल्ड कौंसिल
ऑफ चर्चेस के महासचिव रेवरेन दोत्त ऑलाव फैइकसे त्वीत ने कहा, " उनकी संस्था इस बात को
स्पष्ट रूप से बतलाना चाहती है कि वह येरुसालेम में शांति की स्थापना के लिये कार्य करे।
इस शहर का नाम सालोम अर्थात् शांति शब्द से जुड़ा है पर यहाँ सदा संघर्ष होता रहा है।"
भारत के हिन्दु प्रतिनिधि आचार्य श्री श्रीवास्ता गोस्वामी ने कहा, " हिन्दु धर्म
अज्ञानता से सत्य और मृत्यु से अमरता की ओर ले जाने की एक तीर्थयात्रा है।" मुस्लिम
प्रतिनिधि इंटरनैशनल कोन्फेरेन्स ऑफ इस्लामिक स्कोलर्स के महासचिव क्याय हाज़ी हासयिम
मुज़ादी ने कहा, " एक धर्म की अवधारणाओं को समझने की कमी पूरे धर्म का दुष्प्रयोग का
कारण बन गया ।" उधर ईश्वर पर विश्वास नहीं करने वाली प्रोफेसर क्रिस्तेवा ने कहा,
" मानव अपने धर्म, विश्वास, विचारधारा, के कारण दुनिया को नष्ट करने की क्षमता रखते हैं
फिर भी असीसी के सम्मेलन ने इस बात को दिखाया है कि विनाश की परिकल्पना ही एकमात्र संभावना
नहीं है। " इफु और योरुबा धर्म के प्रवक्त ने कहा कि " दूसरे स्त्री पुरुष और पड़ोसियों
का आदर करना सिर्फ़ काफी नहीं है। हमें चाहिये कि हम प्रकृति का भी सम्मान करें। इसे
पूर्ण सम्मान दिये बिना मानव सच्ची शांति कदापि नहीं पा सकता।"