रोम, 21 अक्तूबर, 2011 (ज़ेनित) "पवित्र माता कलीसिया बच्चों को नींव एवं पंख प्रेरितिक
विश्वास की नींव और पवित्र आत्मा की कृपा प्रदान करती हैं।" संत पापा ने उक्त बातें उस
समय कहीं जब उन्होंने 19 अक्तूबर बुधवार को ऑस्ट्रेलिया के लिये रोम में एक तीर्थयात्री
केन्द्र ‘दोमुस ऑस्ट्रेलिया’ का उद्घाटन किया।
संत पापा ने कहा, " तीर्थयात्रा
कलीसिया की लम्बी परंपरा है जो हमें याद दिलाती है कि हमारी मंजिल है - ईश्वर के पास
पहुँचना। यह हमारे मन को इस बात की ओर केन्द्रित करती है कि हम पवित्र बनने के लिये बुलाये
गये हैं। यह हमें ईश्वर की ओर खींचती और आध्यात्मिक रूप से पोषित करती है ताकि हमारी
यात्रा सफल हो।"
संत पापा ने कहा, " तीर्थयात्री जो रोम आते हैं वे ईश्वर की
कलीसिया के साथ अपना संबंध गहरा बना लेते हैं।"
" ऐसा करने से उनके विश्वास
की नींव मजबूत होती हैं और जैसा हम जानते हैं कि नींव से ही हमें जीवन प्राप्त होता है।
इसलिये जो भी रोम की तीर्थयात्रा करते हैं उन्हें यहाँ सुखद अनुभव होना चाहिये और दोमुस
ऑस्ट्रेलिया इस दिशा में ऑस्ट्रेलिया के तीर्थयात्रियों को ‘प्रेरितों के इस शहर’ में
सारी सुविधायें प्रदान करेगा।"
रोम के महाधर्माध्यक्ष संत पापा ने जोहन वोलगैंग
वॉव गोएथ की बातों की याद कराते हुए उन्होंने कहा, " बच्चों को अपने माता-पिता से दो
चीज़ प्राप्त होनी चाहिये - नींव और पंख।"
उन्होंने कहा, " माता कलीसिया से भी
हम इन्हीं दो चीज़ों का पाते हैं - नींव और पंख: पीढ़ियों से चला आ रहा प्रेरितों का
विश्वास और पवित्र संस्कार जिसमें हम पवित्र आत्मा की कृपा पाते हैं।"
उन्होंने
कहा, " जो भी तीर्थयात्री यहाँ रोम आकर अपने देश लौटते हैं उनका जीवन नया और विश्वास
सुदृढ़ हो जाता है और वे पवित्र आत्मा शक्ति द्वारा अपनी स्वर्गीय यात्रा की ओर लगातार
अग्रसर होते हैं।"