बुधवारीय - आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा का संदेश 19 अक्तूबर, 2011
रोम, 19 अक्तूबर, 2011 (सेदोक, वी.आर) बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा बेनेदिक्त
सोलहवें ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न
भाषाओं में सम्बोधित किया।
उन्होंने अंग्रेजी भाषा में कहा - मेरे अति प्रिय
भाइयो एवं बहनो, आज की धर्मशिक्षामाला में ख्रीस्तीय प्रार्थना पर मनन-चिन्तन करना जारी
रखें।
आज के चिन्तन के लिये हम स्तोत्र 136 को लें। स्तोत्र 136 ईश्वर की स्तुति
के लिये किया जाने वाला प्रसिद्ध गीत है जिसे ख्रीस्तीय परंपरा में पास्का भोज के समापन
के अवसर पर गाया जाता है।
चूँकि इसे पास्का भोज के समापन पर गाया जाता है इसलिये
ऐसा आभास होता है कि येसु ने इसे अंतिम ब्यारी के समय अपने चेलों के साथ गाया था।
स्तोत्र
ईश्वर की स्तुति में गायी जाने वाली एक प्रार्थना है जिसमें भजन गायक ईश्वर की सृष्टि
और चुनी हुई जाति इस्राएल के इतिहास में किये गये सृष्टिकर्त्ता के महान् कार्यों का
बखान करता है। ईश्वर की महिमा करते हुए प्रत्येक पद के बाद अनुवाक्य रूप में गाया जाता
है "उनका अविचल प्रेम सदा बना रहता है।"
यह ईश्वर का ही सच्चा प्यार है
जिसके कारण उन्होंने दुनिया की सृष्टि की औऱ इस्राएल को मुक्ति की दासता से बचाया और
चुनी हुई जाति की तीर्थयात्रा को प्रतिज्ञात देश तक पहुँचाया।
आज जब हम ईश्वर
की महिमा करते हुए इस महत्त्वपूर्ण गीत को गाते हैं तो हम इस बात की भी याद करते हैं
कि ईश्वर ने अपने एकलौते पुत्र को इस धरा पर भेज कर अपने असीम प्रेम और दया को प्रकट
किया है।
येसु मसीह में इस बात को स्पष्ट रूप से देखते हैं कि " जो प्रेम पिता
ने हमें दिया है उससे हम उसकी संतान बन गये हैं और वास्तव में हम वही हैं।" (1 यो.3:1)
इतना कह कर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया।
उन्होंने,
इंगलैंड, नोर्वे, नाइजीरिया, इंडोनिशिया, ऑस्ट्रेलिया, स्वीडेन, अमेरिका और आइसलैंड के
लूथरन तथा रोम में अध्ययन कर रहे अंगलिकन धर्मबंधुओं, तीर्थयात्रियों और उपस्थित लोगों
एवं उनके परिवार के सब सदस्यों पर प्रभु की कृपा और शांति का कामना करते हुए उन्हें अपना
प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।