2011-10-12 12:48:45

वारीय - आमदर्शन समारोह के अवसर पर
संत पापा का संदेश
12 अक्तूबर, 2011


रोम, 12 अक्तूबर, 2011 (सेदोक, वी.आर) बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया।

उन्होंने अंग्रेजी भाषा में कहा- मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, आज की धर्मशिक्षामाला में ख्रीस्तीय प्रार्थना पर मनन-चिन्तन करना जारी रखें। आज के चिन्तन के लिये हम स्तोत्र 126 को लें।

स्तोत्र 126 आनन्द भरा धन्यवादी प्रार्थना है जिसमें स्तोत्र रचयिता ने ईश्वर को उनकी इस्राएल के बबीलोनिया के निर्वासन से वापस लाने की प्रतिज्ञा को वफ़ादारी से निभाने के लिये अपनी कृतज्ञता व्यक्त की है। उन्होंने कहा " ईश्वर ने हमारे लिये महान् कार्य किये हैं और हमने आनन्द मनाया है। " स्तोत्र 126, 3)

जब हम प्रार्थना करते हैं तो हममें ठीक इसी तरह का आनन्द और धन्यवाद का भाव होना चाहिये। हमें चाहिये कि हम उन घटनाओं की याद करें जब ईश्वर न हमारी देख-रेख की।

हम ऐसे अवसरों की भी याद करें जब हमने जीवन में कुछ कटु और अँधकार का अनुभव किया हो। इसी स्तोत्र में भजन गायक ईश्वर से प्रार्थना करता है कि वह इस्राएल की सहायता करना जारी रखे। वह कहता है " जो रोते हुए बोते हैं, वे हँसते हुए लुनते हैं।"(स्तोत्र 126, 5)

जिस प्रकार बीज अपने प्रौढ़ावस्था तक चुपचाप पहुँचता है और हमें इस बात की याद दिलाता है कि ईश्वर की मुक्ति एक उपहार है जिसे हमने पहले ही पा लिया है जो हमारी आशा है, एक प्रतिज्ञा है और जो उचित समय में अपनी परिपूर्णता तक पहुँचेगा।
येसु बीज के इसी प्रतीक का उपयोग करते हुए जीवन से मृत्यु को प्राप्त करने और अँधेरे से प्रकाश में आने के रहस्य की शिक्षा देंगे। येसु हमें बतायेंगे कि जो उनमें विश्वास करते और उसके पास्का रहस्य में सहभागी होते हैं उन्हें इसी तरह से अनन्त जीवन प्राप्त होगा।(योहन, 12, 24)

संत पापा ने कहा कि हम इस स्तोत्र के द्वारा प्रार्थना करते हुए माता मरिया के उस गीत की भी याद करें जिसे उन्होंने आनन्द से उल्लसित होकर गाया था " मेरी आत्मा प्रभु का गुणगान करती है क्योंकि उसने मेरे लिये महान् कार्य किये हैं।" (लूकस, 1, 49) इस गीत की याद करते हुए हम पूरी आशा से ईश्वर की प्रतिज्ञा के पूरे होने का इंतज़ार करें।


इतना कह कर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया।

उन्होंने नाटो डिफेन्स कॉलेज के प्रतिनिधियों, इंगलैंड, स्कॉटलैंड, आयरलैंड, लेबानोन ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया, कनाडा, डेनमार्क, स्वीडेन, और अमेरिका के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों एवं उनके परिवार के सब सदस्यों पर प्रभु की कृपा और शांति का कामना करते हुए उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।


















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