2011-09-30 17:42:48

धार्मिक चरमपंथ सबसे बड़ा ख़तरा


30 सितम्बर 2011 (वीआर अंग्रेजी) फेडरेशन ओफ एशियन बिशप्स कांफ्रेस (एफ ए बी सी) में सुसमाचार प्रसार विभाग के अध्यक्ष तथा भारत में गुवाहाटी के महाधर्माध्यक्ष थोमस मेनामपरम्बिल ने कहा है कि एशिया में सुसमाचार प्रसार के सामने, धार्मिक उदासीनता की प्रवृत्ति और धार्मिक चरमपंथ का विकास ये दो सबसे बडी चुनौतियाँ हैं। उन्होंने कहा कि बैंकाक स्थित एफएबीसी कार्यालय में धर्माध्यक्षों, ईशशास्त्रियों और विशेषज्ञों की बैठक बुलायी जायेगी जिसका शीर्षक होगा- "Evangelization in Asia, in the context of secularism and fundamentalism". अर्थात् एशिया में सुसमाचार प्रचार- धार्मिक उदासीनता और चरमपंथ के संदर्भ में।
महाधर्माध्यक्ष मेनामपरम्बिल ने कहा इसमें संदेह नहीं है कि एशिया में भी धार्मिक उदासीनता का प्रभाव विशेष रूप से युवाओं या परिवारों में महसूस किया जा रहा है। धार्मिक उदासीनता की भूमि पर चरमपंथ पोषण प्राप्त कर रहा है जो लोगों की जरूरतों और भावनाओं का शोषण करता है। उन्होंने कहा कि एशिया में सबसे बड़ा ख़तरा धार्मिक चरमपंथ है एक ओर पेंतेकोस्तालिज्म है जो आकर्,त करता तथा काथलिक विश्वासियों को चर्च से अलग कर देता है तो दूसरी ओर इस्लामी चरमपंथ जो सामाजिक और धार्मिक सौहार्द को बाधित करता है। उन्होंने कहा कि इन प्रवृत्तियों का सामना कलीसिया आक्रामक अभिगम अपना कर नहीं कर सकती है लेकिन उन सामाजिक और मनोवैज्ञानिक कारणों की जाँच और समझ करते हुए अपना जवाब दे सकती है जो धार्मिक उदासीनता तथा चरमपंथ को विकसित करते हैं।
महाधर्माध्यक्ष मेनामपरिमबल के अनुसार एशिया के धर्माध्यक्ष इस विषय पर गहन अध्ययन कर उचित कदम उठाने के प्रत्युत्तर तैयार करेंगे। उन्होंने कहा कि सार्वभौमिक रूप से वैध धर्मनिरपेक्ष मूल्यों की रचना कर धार्मिक उदासीनता का सामना करेंगे तथापि चरमपंथ का जवाब यथार्थ धर्म है।








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