फ्रायबुर्ग, जर्मनीः सन्त पापा ने किया पारम्परिक कलीसियाई मूल्यों का आह्वान
फ्रायबुर्ग, जर्मनी 25 सितम्बर सन् 2011 (सेदोक): सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने, शनिवार
को, जर्मनी के फ्रायबुर्ग नगर में, पारम्परिक कलीसियाई मूल्यों की रक्षा का आह्वान किया।
फ्रायबुर्ग के काथलिक गुरुकुल में सन्त पापा ने ऑरथोडोक्स कलीसिया के धर्माधिकारियों
के साथ मुलाकात की और इस अवसर पर गर्भपात एवं समलैंगिक सम्बन्धों द्वारा प्रस्तुत ख़तरों
के प्रति सचेत कराया।
जर्मनी के कुछेक लोगों की असन्तुष्टि और विरोध का सामना
करते हुए सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने कहा कि धर्म को सार्वजनिक जीवन से अलग नहीं किया
जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि इस उद्यम में काथलिक एवं ऑरथोडोक्स कलीसियाएँ एक साथ मिलकर
आगे बढ़ रहीं हैं।
जर्मनी में ऑरथोडोक्स ख्रीस्तीयों का अस्तित्व मुख्यतः आप्रवासियों
के कारण रहा है। सन् 1917 ई. में, रूस की क्राँति के उपरान्त प्रथम आप्रवासी दल जर्मनी
पहुँचा था जिनमें अधिकांश ऑरथोडोक्स ख्रीस्तीय थे। इसके उपरान्त, जर्मनी में सन् 1960
के आर्थिक विकास से आकर्षित ग्रीस के कई आप्रवासियों ने जर्मनी का रुख किया था। सबसे
अन्तिम दल सन् 1989 में पूर्वी यूरोप में साम्यवाद के पतन के बाद जर्मनी पहुँचा। आज जर्मनी
में 467 ऑरथोडोक्स ख्रीस्तीय समुदाय हैं तथा ऑरथोडोक्स ख्रीस्तीयों की संख्या लगभग 16
लाख है। शनिवार को फ्रायबुर्ग के काथलिक गुरुकुल में सन्त पापा ने ऑरथोडोक्स एवं
पूर्वी रीति की कलीसिया के 15 धर्माधिकारियों के साथ मुलाकात कर मानव जीवन की प्रतिष्ठा
के सम्मान को प्रोत्साहित करने का आह्वान किया। इस अवसर पर उन्होंने, जीवन के क्षेत्र
में हर जोड़ तोड़ और चयनात्मक हस्तक्षेप का ज़ोरदार विरोध किया। सन्त पापा बेनेडिक्ट
16 वें ने कहाः " .......................
"वर्तमान माहौल में, जिसमें बहुत से
लोग सार्वजनिक जीवन को ईश्वर से मानों "आजाद" कराने के लिए आतुर हैं, ख्रीस्तीय ऑरथोडोक्स
एवं पूर्वी रीति की कलीसियाओं सहित जर्मनी की सभी कलीसियाएँ, एक ईश्वर में विश्वास के
आधार पर, लोगों के बीच समझदारी एवं एकात्मता की स्थापना हेतु शांतिपूर्ण साक्ष्य द्वारा
कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। इसके साथ ही ईश्वर का चमत्कारी देहधारण उनकी सुसमाचार
उदघोषणा का केन्द्र रहा है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि इसी रहस्य पर मानव प्रतिष्ठा
टिकी है वे गर्भ के प्रथम क्षण से प्राकृतिक मृत्यु तक मानव जीवन की रक्षा के प्रति एकसाथ
मिलकर अपनी आवाज़ बुलन्द करते हैं।"
सन्त पापा ने आगे कहा........... "जीवन दाता
और सृष्टिकर्त्ता ईश्वर में आस्था तथा बिलाशर्त हर व्यक्ति की मानव गरिमा का पालन, ख्रीस्तीय
विश्वासियों को, सख़्ती के साथ मानव जीवन के क्षेत्र में हर जोड़ तोड़ और चयनात्मक हस्तक्षेप
का विरोध करने हेतु मज़बूत बनाता है। विवाह और परिवार के मूल्यों की महता को जानते हुए
हम ख्रीस्तीय एक पुरुष एवं एक स्त्री के बीच विवाह की अखण्डता को महत्व देते हैं तथा
विवाह की किसी भी अन्य अशुद्ध व्याख्या का बहिष्कार करते हैं। इस सन्दर्भ में, ऑरथोडोक्स
एवं पूर्वी रीति की कलीसियाओं सहित जर्मनी की सभी कलीसियाएँ समाज को भविष्य में सबल बनाने
के लिये बहुमूल्य योगदान प्रदान कर रहीं हैं।"