2011-09-23 14:22:54

बर्लिन के ओलिम्पिक स्टेडियम में सम्पन्न यूखरिस्तीय बलिदान में संत पापा का प्रवचन का सार


बर्लिन, 23 सितंबर, 2011 (सेदोक, वीआर) मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनों, हज़ारों की संख्या में जमा आप लोगों को देख कर मेरा ह्रदय खुशी और आत्मविश्वास से भर गया है। आज का सुसमाचार हमें दाखलता के बारे में बताता है यह जीवन शक्ति का प्रतीक है और येसु के अपने चेलों के साथ साहचर्य एवं मित्रता की सुन्दरता और गतिशीलता का उदाहरण है।

येसु यह नहीं कहते है कि ‘तुम दाखलता हो’ पर वे कहते हैं ‘मैं दाखलता हूँ और तुम डालियाँ हो’। अर्थात् ‘तुम मुझसे जुड़े हुए हो और इसी प्रकार तुम दूसरों से भी संलग्न हो’।

इस प्रकार एक दूसरे से जुड़ा होना सिर्फ़ कोई आदर्श या कोई प्रतीकात्मक संबंध नहीं है पर मैं तो कहूँगा यह येसु के साथ जैविक और जीवनदायी संबंध है। ठीक इसी तरह कलीसिया का संबंध भी येसु के साथ है।

येसु से संयुक्त होना और दूसरों की भलाई के लिये कार्य करना – एक ऐसा संबंध हैं जिसकी नींव है - बपतिस्मा संस्कार और यह यूखरिस्त संस्कार से यह परिपोषित होता है। इसलिये जब हम अपने विश्वास के कारण येसु के लिये दुःख उठाते हैं तो हम अकेले नही हैं। कई बार दाखलता का मालिक दाखलता की टहनियों को काटता है ताकि वह अधिक फल लाये। ईश्वर चाहता है कि वह हमारे कठोर ह्रदय को बदल कर नया कर दे।

वाटिकन द्वितीय महासभा कहती है कि कलीसिया मुक्ति का सार्वभौमिक संस्कार है। जो पापी पश्चत्ताप करे वह एक नया जीवन शुरु करेगा। सच पूछा जाये तो यही है कलीसिया का मिशन, जिसे येसु मसीह कलीसिया को दिया है।
कई लोग कलीसिया के बाहरी स्वरूप को देखते हैं। ऐसा देखने से से कलीसिया प्रजातंत्रीय समाज के कई में से एक संगठन रूप में दिखाई देती है। वे इसी के आधार पर कलीसिया का आकलन करते हुए इसका मूल्यांकन करते हैं जो पूर्ण नहीं है।

इतना ही नहीं कलीसिया में भी कुछ अच्छी मछलियाँ हैं और कुछ बुरी भी, कुछ गेहूँ है तो कुछ घास, पर अगर कलीसिया की सिर्फ़ नकारात्मक सच्चाइयों के आधार पर मूल्यांकन करें तो इसके रहस्यों की गहराई तक नहीं पहुँचा जा सकता।

चर्च के रहस्य को नहीं समझने से असंतुष्टि बढ़ती है और यह असंतोष फैलता जाता है और तब हम उस गीत को नहीं सुन सकते हैं जिसे हमारे पूर्वज काथलिकों ने दृढ़ विश्वास के साथ गया था।

येसु कहते हैं तुम मुझ में बने रहो और मैं तुममे और जिस प्रकार जब तक कोई डाली दाखलता से जुड़ी नहीं हैं तो वह कोई फल उत्पन्न नहीं कर सकती, उसी प्रकार अगर तुम मुझसे जुड़े नहीं हो तो कुछ भी नहीं कर सकते।

आज प्रत्येक जन को इसी बात का निर्णय करना है। संत अगुस्टीन कहते हैं कि " डालियों का सिर्फ़ दो स्थान है - दाखलता के साथ जुड़ा रहना या आग में झोंका जाना "। यह हमें इस बात की याद दिलाती है कि हम ऐसा निर्णय लें ताकि हमारा जीवन सार्थक हो।

दाखलता का उदाहरण आशा और आत्मविश्वास का भी चिह्न है। येसु जो इस दुनिया में आये, वे ही हमारे विश्वास की जड़ हैं। जब भी हमारे जीवन में सूखे की स्थिति आती है वे ही हमें जीवन जल देते और हमें शक्ति प्रदान करते हैं। उनकी शक्ति से ही हम दुःख-तकलीफ़, चिन्ताओं और पापों के जंजाल से शुद्ध होकर रहस्यात्मक रूप से अच्छा दाखरस बनते हैं। ईश्वर हमारी उन परिस्थितियों को जो कठिन और चुनौतीपूर्ण है, बदल कर प्रेमपूर्ण उपहार बना देते हैं।

आज हमारे बीच कुछ समस्यायें हैं- एक व्यग्रता है, जब कई लोग अपने रास्ते से भटक गये हैं, जब विवाह और मित्रता की पवित्रता इतनी लचर और क्षणभंगुर हो गयी है, जब एम्माउस के शिष्यों के समान पुकार-पुकार कर कह रहे हैं " येसु हमारे साथ रह जाइये " और तब जीवित येसु हमें शरण, प्रकाश, आशा, विश्वास, आराम तथा सुरक्षा देना चाहते हैं और हमसे आशा करते हैं कि हम उनमें बने रहें।

येसु में बने रहने का अर्थ है - कलीसिया में भी बने रहना। येसु में बने रहते हुए ही हम एक-दूसरे में भी बने रह सकते हैं। हम एक साथ बने रह कर ही तूफान के बीच बने रह सकते हैं और एक-दूसरे की रक्षा कर सकते हैं। जो विश्वास करते हैं वे अकेले नहीं हैं। हम चर्च के साथ एक होकर ही विश्वास करते हैं।

जो ईश्वर में विश्वास करते हैं, भविष्य उन्हीं का है। ईश्वर चाहते हैं कि हम विश्वास करें वे चाहते हैं, हमें फल उत्पन्न करें और जीवन की परिपूर्णता प्राप्त करें।

मेरा विश्वास है कि आप सदा येसु और कलीसिया से संयुक्त रहने का आनन्द प्राप्त करें ताकि आप येसु के मूल्यवाल दाखरस बन सकें और दुनिया को येसु के प्रेम और आनन्द को बाँट सकें।









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