एरफुर्टः जर्मनी के एवेन्जेलिकल चर्च के प्रतिनिधियों से सन्त पापा की मुलाकात
एरफुर्ट, 23 सितम्बर सन् 2011 (सेदोक): जर्मनी में अपनी चार दिवसीय यात्रा के दूसरे दिन
सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने जर्मनी के एवेन्जेलिकल चर्च के प्रतिनिधियों से मुलाकात
की।
जर्मनी के एवेन्जेलिकल चर्च के अन्तर्गत देश की 22 विभिन्न प्रॉटेस्टेण्ट
ख्रीस्तीय कलीसियाएँ आती हैं। जर्मनी में काथलिक धर्मानुयायियों के समान ही प्रॉटेस्टेण्ट
ख्रीस्तीयों की संख्या लगभग ढाई करोड़ है।
शुक्रवार 23 सितम्बर को, एरफुर्ट में
सन्त पापा ने प्रॉटेस्टेण्ट ख्रीस्तीय नेताओं से उस मठ में मुलाकात की जहाँ सुधारवादी
आन्दोलन से पूर्व काथलिक मठवासी रूप में मार्टिन लूथर रहा करते थे। सन् 1517 ई. में ख्रीस्तीय
धर्म पर अपने 95 शोध प्रबन्धों को उन्होंने इसी मठ में तैयार किया था। इन्हीं शोध प्रबन्धों
ने 16 वीं शताब्दी के सुधारवादी आन्दोलन को प्रेरित किया था तथा प्रॉटेस्टेण्ट ख्रीस्तीय
कलीसिया की आधारशिला रखी थी।
शुक्रवार को एरफुर्ट में एवेन्जेलिकल कलीसिया के
अध्यक्ष पादरी निकोलस श्नाईडर के नेतृत्व में 15 प्रॉटेस्टेण्ट नेताओं ने सन्त पापा बेनेडिक्ट
के साथ मुलाकात की। इस अवसर पर दिये सन्देश में सन्त पापा ने ख्रीस्तीयों के बीच एकता
पर बल दिया।
सन्त पापा ने कहा कि ख्रीस्तीयों के बीच एकता को प्रोत्साहित करने
के लिये यह अनिवार्य है कि हम उन तथ्यों पर ध्यान केन्द्रित करें जो हमें एकता के सूत्र
में बाँधते हैं।
उन्होंने कहा, "ख्रीस्तीय एकता के लिये पहली और सबसे महत्वपूर्ण
बात यह कि हम उन तथ्यों पर ध्यान केन्द्रित करें जो हम लोगों में सामान्य हैं। धर्म के
प्रति बढ़ती उदासीनता के युग के दबाव के बीच इन तथ्यों को हम कदापि न भुलायें कि सबसे
पहले हम ख्रीस्त के अनुयायी हैं और जो कुछ हमें ख्रीस्तीय बनाता है वह हमें मिला एक महान
वरदान है।"
उन्होंने कहा कि सुधारवादी आन्दोलन से इसी दिशा में ग़लती हुई है
कि उसने केवल उन बातों पर ध्यान दिया जो हमें अलग करती हैं, जो हमें विभाजित करती हैं।
जबकि, इसके विपरीत हमें एकता के सूत्र में बाँधने वाले तथ्यों पर ध्यान देकर विश्व के
समक्ष प्रस्तुत चुनौतियों का एक साथ मिलकर सामना करना चाहिये तथा प्रभु येसु ख्रीस्त
के सुसमाचार के साक्षी बन विश्व में न्याय, शांति और प्रेम का प्रसार करना चाहिये।