जर्मनी में सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें की प्रेरितिक यात्रा की पृष्ठभूमि
काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें गुरुवार 22 सितम्बर को, रोम
समयानुसार प्रातः सवा आठ बजे रोम के चामपीनो हवाई अड्डे से, जर्मनी में अपनी चार दिवसीय
यात्रा के लिये रवाना हुए। जर्मनी की राजधानी बर्लिन तक 1,182 किलो मीटर की दूरी उन्होंने
आल इतालिया के ए 320 विमान से, सवा दो घण्टों में पूरी की। रोम से बर्लिन तक की हवाई
यात्रा के समय सन्त पापा ने रास्ते में पड़नेवाले इटली, ऑस्ट्रिया एवं चेक गणतंत्र के
राष्ट्रपतियों के नाम तार सन्देश प्रेषित कर यहाँ के लोगों के प्रति सुख समृद्धि और खुशहाली
की मंगलकामना की।
कलीसिया के परमाध्यक्ष का पद ग्रहण करने के बाद से जर्मनी
में यह सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें की तीसरी यात्रा है तथापि पहली आधिकारिक यात्रा है
जिसका निमंत्रण उन्हें जर्मनी की सरकार तथा वहाँ के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन द्वारा
दिया गया है। इससे पूर्व सन् 2005 तथा सन् 2006 में सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें जर्मनी
की प्रेरितिक यात्राएँ कर चुके हैं।
जर्मनी की कुल आबादी लगभग आठ करोड़ है जिनमें,
62 प्रतिशत यानि पाँच करोड़ सात लाख ख्रीस्तीय धर्मानुयायी हैं। देश में ढाई करोड़ काथलिक
धर्मानुयायी तथा ढाई करोड़ प्रॉटेस्टेण्ट ख्रीस्तीय धर्मानुयायी हैं। इनके अतिरिक्त 12
लाख साठ हज़ार ऑरथोडोक्स ख्रीस्तीय, साढ़े तीन लाख फ्री चर्च के सदस्य, चालीस लाख इस्लाम
धर्मानुयायी तथा लगभग एक लाख यहूदी धर्म के अनुयायी हैं।
सम्भवतः यह यात्रा सन्त
पापा की सबसे कठिन यात्रा है इस दौरान वे अधिकांश उन क्षेत्रों में जा रहे हैं जहाँ या
तो प्रॉटेस्टेण्ट ख्रीस्तीयों का वर्चस्व है अथवा उन क्षेत्रों में जहाँ के निवासियों
के लिये, दशकों तक पूर्वी जर्मनी के भूतपूर्व साम्यवादी शासन के अधीन रहने के बाद, अब
ईश्वर, धर्म एवं आस्था जैसी संकल्पनाएँ कोई मायने नहीं रखती। फिर, कुछेक जर्मन दल वर्तमान
आर्थिक संकट के समय सन्त पापा की यात्रा पर हो रहे खर्चे से सहमत नहीं हैं। उनका कहना
है कि यात्रा का खर्च बहुत अधिक है जो अन्ततः जर्मन अर्थव्यवस्था में योगदान देने वाले
श्रमिकों को उठाना पड़ेगा। जर्मनी की काथलिक कलीसिया ने इस यात्रा के लिये ढाई करोड़
यूरो व्यय करने की घोषणा की है जबकि सुरक्षा व्यवस्था तथा अन्य इन्तज़ामों का खर्च जर्मन
सरकार वहन करेगी।
22 से 25 सितम्बर तक निर्धारित अपनी चार दिवसीय यात्रा सन्त
पापा राजधानी बर्लिन, पूर्वी जर्मनी के एरफुर्ट तथा काथलिकों के गढ़ कहलानेवाले फ्रायबुर्ग
नगर में सम्पन्न करेंगे। जर्मनी की धार्मिक एवं राजनैतिक जटिलताएँ सचमुच में सन्त पापा
के समक्ष गम्भीर चुनौतियाँ प्रस्तुत करती हैं क्योंकि सन् 1989 में बर्लिन की दीवार के
ध्वस्त हो जाने तथा जर्मनी के एकीकरण के बाद बहुत से परिवर्तन आये हैं जो हमेशा सकारात्मक
नहीं रहे हैं। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि सन्त पापा से निकलनेवाले हर शब्द का, आलोचकों
और समर्थकों दोनों द्वारा मतलब निकाला जायेगा, विश्लेषण किया जायेगा तथा वर्तमान समाज
में व्याप्त विचारधाराओं की कसौटी पर परखा जायेगा। चुनौतियों एवं जटिलताओं की परवाह न
करते हुए सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें, अपनी मातृभूमि, जर्मनी के लोगों का साक्षात्कार
करने के लिये वहाँ पहुँच चुके हैं।
यात्रा के प्रथम दिन सन्त पापा बुन्डेसटाग
यानि जर्मन संसद के निचले सदन के सांसदों को सम्बोधित कर रहे हैं। लगभग 100 सांसदों ने
इस समारोह के बहिष्कार की घोषणा की है तथा जर्मनी के समलैंगिक दलों को समर्थन देने का
फैसला किया है। समलिंगमियों के विरुद्ध काथलिक कलीसिया की शिक्षा से वे असहमत हैं। प्राप्त
समाचारों के अनुसार विरोध प्रदर्शनों में लगभग 20,000 व्यक्ति भाग लेंगे। इस विषय में
रोम से जर्मनी तक की यात्रा के दौरान आयोजित एक पत्रकार सम्मेलन में सन्त पापा ने कहाः
........................ "सबको स्वतंत्रतापूर्वक अपना मत प्रकट करने की छूट है। यह
स्वाभाविक है कि कुछ लोग इस यात्रा तथा काथलिक कलीसिया का विरोध करें क्योंकि आज हम धर्म
के प्रति उदासीनता के युग में जीवन यापन कर रहे हैं। दूसरी ओर, यह भी नहीं भुलाया जाना
चाहिये कि कुछ लोगों के विरोध के साथ साथ बहुत अधिक लोग ऐसे हैं जो मेरी प्रतीक्षा कर
रहे हैं इसलिये अपनी मातृभूमि जाने तथा अपने जर्मन भाई बहनों के समक्ष प्रभु येसु ख्रीस्त
के सुसमाचार की उदघोषणा करने के लिये मैं अत्यधिक प्रसन्न हूँ।"
सांसदों को
सम्बोधित करने के साथ साथ यात्रा के पहले ही दिन सन्त पापा जर्मनी की चैन्सलर एनगेला
मेर्कल तथा जर्मनी के राष्ट्रपति क्रिस्टियन वुल्फ से औपचारिक मुलाकात करेंगे। गुरुवार
को ही बर्लिन के ओलिम्पिया स्टेडियम में सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ख्रीस्तयाग अर्पित
करेंगे जिसमें लगभग दो लाख चालीस हज़ार लोगों के भाग लेने का अनुमान है। यह स्टेडियम
एडोल्फ हिटलर की महिमा में सन् 1936 के खेलों के लिये निर्मित किया गया था। यहीं पर सन्त
पापा जर्मनी के यहूदी एवं मुसलमान नेताओं से भी मुलाकातें करेंगे।
जर्मनी के
राष्ट्रपति क्रिस्टियन वुल्फ काथलिक धर्मानुयायी हैं हालांकि कलीसियाई धर्मशैक्षिक नियमों
का उल्लंघन करते हुए उन्होंने अपनी पहली पत्नी को तलाक देकर पुनः विवाह कर लिया है। चैन्सलर
एनगला मेर्कल प्रॉटेस्टेण्ट ख्रीस्तीय धर्मानुयायी हैं जो सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें
से आग्रह करती रहीं हैं कि वे ख्रीस्तीय एकतावर्द्धक सम्बन्धों में सुधार का प्रयास करें।
यात्रा के दूसरे दिन, शुक्रवार 23 सितम्बर को, एरफुर्ट में सन्त पापा प्रॉटेस्टेण्ट
ख्रीस्तीय नेताओं से उस मठ में मुलाकात करेंगे जहाँ सुधारवादी आन्दोलन से पूर्व काथलिक
मठवासी रूप में मार्टिन लूथर रहा करते थे। सन् 1517 ई. में ख्रीस्तीय धर्म पर अपने 95
शोध प्रबन्धों को उन्होंने इसी मठ में तैयार किया था। इन्हीं शोध प्रबन्धों ने 16 वीं
शताब्दी के सुधारवादी आन्दोलन को प्रेरित किया जिसके परिणामस्वरूप पश्चिमी ख्रीस्तीय
कलीसिया दो भागों में विभक्त हो गई। इत्तेफाक से सन् 2017 ई. में प्रॉटेस्टेण्ट ख्रीस्तीय
धर्मानुयायी मार्टिन लूथर के सुधारवादी आन्दोलन का पाँचवा शतक मना रहे हैं और चाहते हैं
कि जर्मनी के काथलिक धर्मानुयायी भी उनके इस समारोह में सहयोग करें। इस विषय में हवाई
यात्रा के दौरान सन्त पापा ने कहाः ............................. "प्रॉटेस्टेण्ट बन्धुओं
से मिलने के लिये मैं आतुर हूँ और मेरी उत्कट अभिलाषा है कि काथलिक एवं प्रॉटेस्टेण्ट
सभी एक साथ मिलकर ईश्वर और धर्म रहित विश्व में पुनः आस्था और विश्वास की ज्योत जगायें।
ईश्वर के बिना मनुष्य का जीवन निरर्थक है, वह अधूरा है इसलिये यह महत्वपूर्ण है कि ख्रीस्त
के सभी अनुयायी एकता के सूत्र में बँधें और भटकते विश्व को जीवन के यथार्थ मूल्यों की
याद दिलायें।"
शुक्रवार को एरफुर्ट में सन्त पापा प्रॉटेस्टेण्ट ख्रीस्तीय
नेताओं को सम्बोधित करने वाले हैं। प्रॉटेस्टेण्ट धर्मानुयायी सन्त पापा को सुनने के
लिये आतुर हैं। वे जानना चाहते हैं कि मार्टिन लूथर के बारे सन्त पापा के क्या विचार
हैं? क्या उनके अनुसार वे एक अपधर्मी थे? क्या बाईबिल धर्मग्रन्थ में ख्रीस्तीयों की
रुचि जगाने के लिये सन्त पापा उनकी सराहना करेंगे? जर्मन भाषा को दिये मार्टिन लूथर के
योगदान क्या सन्त पापा याद करेंगे? आदि आदि प्रश्नों पर उनमें जिज्ञासा भरी है।
एरफुर्ट
में प्रॉटेस्टेण्ट नेताओं से मुलाकात के उपरान्त सन्त पापा निकटवर्ती एट्सेलबाख जायेंगे
जहाँ काथलिक विश्वासियों का एक छोटा सा समुदाय है। इस समुदाय ने साम्यवादी अत्याचार के
बावजूद अपने विश्वास का परित्याग नहीं किया था। रविवार 25 सितम्बर को, जर्मनी में काथलिकों
का गढ़ कहलानेवाले दक्षिणी जर्मनी के फ्रायबुर्ग नगर की यात्रा कर, सन्त पापा बेनेडिक्ट
16 वें यात्रा का अन्तिम चरण सम्पन्न करेंगे।