तमिल नाडः मछुओं और कलीसियाई नेताओं ने नये परमाणु संयंत्र का किया विरोध
तमिल नाड, 21 सितम्बर सन् 2011 (कैथन्यूज़): तमिल नाड के ट्यूटीकोरिन तथा कोट्टार काथलिक
धर्मप्रान्तों के मछुआरे एवं सामान्य लोग नये परमाणु संयंत्र का विरोध कर रहे हैं जिनके
साथ कुछ कलीसियाई नेता भी शामिल हो गये हैं।
कूडनकूलम परमाणु संयंत्र रूसी
प्रौद्योगिकी के साथ तैयार किया गया है जिसका परिचालन दिसम्बर माह से आरम्भ होना निर्धारित
किया गया है। इस संयंत्र से 2,000 मेगावॉट बिजली उत्पन्न की जा सकेगी।
लोगों
तथा कलीसियाई नेताओं का कहना है कि नया संयंत्र आनेवाली आपदा का संकेत है। स्थानीय काथलिक
नेता ज़ेवियर फर्नान्दो ने कहा मार्च माह में जापान में आई सूनामी एवं भूकम्प के बाद
उत्पन्न परमाणु ख़तरों से भयभीत तमिल नाड के लोग नये संयंत्र का विरोध कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि संयंत्र के विरोध में 127 से अधिक लोग विगत दस दिनों से भूख
हड़ताल पर हैं जिनमें हिन्दु, मुसलमान एवं ख्रीस्तीय सभी शामिल हैं।
मछुओं के
गाँव इदिनथाकराई के मछुआरों ने 11 सितम्बर से लूर्द की महारानी माँ मरियम के गिरजाघर
के सामने अनिश्चितकालीन उपवास शुरू किया था। 20 अन्य काथलिक गांवों से हज़ारों मछुओं
और किसानों का भी अनशन जारी है।
ट्यूटूकोरिन के काथलिक धर्माध्यक्ष तथा भारतीय
काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन में न्याय एवं शांति सम्बन्धी समिति के अध्यक्ष धर्माध्यक्ष
ईवोन एम्ब्रोज़ ने कहा, "रूसी परमाणु प्रौद्योगिकी चेरनोबिल में नाकाम रही है तो यहाँ
उसका उपयोग कर अपने जीवन को क्यों हम ख़तरे में डाल रहे हैं।" उन्होंने कहा देश को जर्मनी
और जापान का उदाहरण ग्रहण करना चाहिये जिन्होंने फूकीशिमा की आपदा के बाद परमाणु सुविधाओं
को बन्द करने का फैसला किया है।
इसी तरह कोट्टार के काथलिक धर्माध्यक्ष पीटर
रेमेजिस ने कहा, "परमाणु संयंत्र की वजह से हमारा जीवन ख़तरे में पड़ गया है।"
इस
बीच, तमिल नाड के अधिकारियों के अनुसार प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आश्वासन दिया है
कि एक संघीय मंत्री प्रदर्शनकारियों के साथ मिलने के लिये नियुक्त किया जाएगा ताकि परमाणु
संयंत्र पर उनके डर को दूर किया जा सके।