न्यूयॉर्क, 17 सितंबर, 2011 (एशियान्यूज़) न्यूयॉर्क स्थित ‘कैथोलिक फैमिली एंड ह्रूमन
राइट्स’ संस्थान के अनुसार एशिया के कई देशों को आनेवाले दिनों में कई समस्याओं का सामना
करना पड़ेगा।
संस्थान की सूसन योशिहारा के अनुसार चीन के " एक बच्चा नीति "
का व्यापक नकारात्मक प्रभाव परिवारों पर पड़ेगा।
संस्थान के अन्वेषण के अनुसार
सन् 2050 ईस्वी तक बूढ़ों अर्थात् 65 वर्ष और उससे अधिक और 80 साल या उससे अधिक साल वालों
की संख्या विश्व की आबादी का दो प्रतिशत हो जायेगा।
यह संख्या जर्मनी, भारत जापान,
रूस, ग्रेट ब्रिटेन और अमेरिका की जनसंख्या से अधिक होगी। उनका मानना है कि दुनिया अपने
समय से पूर्व ही बूढ़ी होती रही है।
सर्वेक्षण के अनुसार सन् 2050 में चीन की
एक चौथाई जनता 65 साल से ऊपर की हो जायेगी, रूस में जनसंख्या का पाँचवा भाग 65 साल से
ऊपर वालों की होगी।
जापान सबसे अधिक बूढ़े लोगों का देश होगा जहाँ 65 वर्ष से
अधिक आयु के लोगों का संख्या 37 प्रतिशत और 80 साल से अधिक लोगों की संख्या 15 प्रतिशत
होगी।
चीन के बारे में उन्होंने बताया कि चीन में 25 सालों में वहाँ की जनता
बूढ़ी हो जायेगी। चीन में प्रजनन क्षमता 3.8 से घटकर 1.8 रह गयी है।
सूसन ने
बताया कि यद्यपि चीन ‘एक बच्चा नीति’ का त्याग भी कर ले पर इससे तेजी से बूढ़ी हो रही
जनसंख्या वाली प्रवृत्ति को कम नहीं किया जा सकेगा।
उन्होंने यह भी बताया कि
हालांकि बूढ़ों की संख्या में तेजी से वृद्धि होती जा रही है लेकिन इसका असल प्रभाव 2020
के बाद महसूस किया जायेगा।
और उस समय तक चीन की अर्थव्यवस्था आकार में अमेरिका
की अर्थव्यवस्था पर हावी हो जायेगी।