2011-09-15 18:12:08

संत पापा का कहना धार्मिक और सांस्कृतिक सहअस्तित्व को काम और उपहार रूप में देखें


कास्तेल गांदोल्फो 15 सितम्बर 2011 (जेनित) संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने कहा है कि हम इस पृथ्वी ग्रह को नरक बना सकते हैं यदि हम एक दूसरे को स्वीकार नहीं करते हैं या फिर हम एक दूसरे के साथ जीवन जीना सीख कर स्वयं को एक दूसरे के लिए खोल सकते और दे सकते हैं। संत पापा ने यह चिंतन अपने एक संदेश में दिया है जो संत एजेदियो लोकधर्मी काथलिक समुदाय द्वारा जर्मनी के म्यूनिख में आयोजित अंतर धार्मिक बैठक के लिए था। इस बैठक का समापन मंगलवार को हुआ। उन्होंने कहा कि " बाउंड दू लिभ टुगेदर " शीर्षक से आयोजित शांति बैठक हमें स्मरण कराता है कि मानव प्राणी रूप में हम एक दूसरे से जुड़े हैं। एक साथ जीवन जीना पूर्व शर्त्त है जो हमारे मानव होने से संयुक्त है। यह हमारा दायित्व है कि इसे सकारात्मक तत्व बनायें।
संत पापा ने अपने संदेश में कहा कि एक साथ जीना, एक दूसरे के खिलाफ जीना भी हो सकता है, यह नरक समान बन सकता है यदि हम एक दूसरे को स्वीकार करना नहीं सीखें या यदि हर व्यक्ति केवल अपना हित देखे.
संत पापा ने कहा कि एक साथ जीना उपहार बन सकता है यदि हम स्वयं को एक दूसरे के लिए खोलें और स्वयं को एक दूसरे के लिए अर्पित करें. उन्होने यह प्रस्ताव किया कि धार्मिक और सांस्कृतिक सहअस्तित्व को काम और उपहार के रूप में देखें ताकि यह एक दूसरे के साथ जीने का यथार्थ पथ बन सके। उन्होंने इंगित किया कि यह सहअस्तित्व स्थानीय या क्षेत्रीय चुनौती नहीं है लेकिन यह विश्व स्तर पर है जो सम्पूर्ण मानवजाति को शामिल करती है। ख्रीस्तीय विश्वास सिखाता है कि ईश्वर चाहते हैं कि सम्पूर्ण मानवजाति एक परिवार हो जिसमें हम सब भाई बहन हैं लेकिन इस शिक्षा को पाने के लिए हमें बारम्बार सीखना है।
संत पापा ने कहा कि हमें एक दूसरे के साथ रहना सीखना है। इसका अर्थ है कि अपने दिल को दूसरे के लिए खोलें, हमारे पड़ोसियों को हमारे आनन्द, आशा और तकलीफ में शामिल होने दें। उन्होंने अपने संदेश में कहा कि धर्म वास्तव में शांति के सवालों से जुड़ा है। यदि ईश्वर के साथ मिलने में धर्म विफल रहते हैं, यदि यह हमें ईश्वर की ओर उठाने के बदले में दूर लेता है, जब हम धर्म को अपनी जागीर बनाते हैं तब यह शांति के विनाश में योगदान देता है। यदि धर्म दिव्यता की ओर, सब लोगों के सृष्टिकर्ता मुक्तिदाता की ओर मार्ग पाता है तब यह शांति की ताकत बन जाता है।








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