2011-09-14 13:10:44

बुधवारीय - आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा का संदेश
14 सिंतबर, 2011


रोम, 14 सितंबर, 2011 (सेदोक, वीआर) बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने वाटिकन सिटी के पौल षष्टम् सभागार में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया। उन्होंने अंग्रेजी भाषा में कहा,

मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनों, आज हम प्रार्थना पर धर्मशिक्षा माला को जारी रखते हुए स्तोत्र 22 पर मनन-चिन्तन करें।

ह्रदय से व्यक्त यह एक ऐसी प्रार्थना है जहाँ व्यक्ति विलाप करते हुए कहता है कि ईश्वर ने उसे त्याग दिया है।

वह कहता है कि वह दुश्मनों के चंगुल में फंस गया है और वे उसे सता रहे हैं। स्तोत्र गाने वाले भक्त चिल्लाते हुए कहता है कि ईश्वर उसकी मदद करे पर ऐसा लगता है कि ईश्वर उसकी नहीं सुन रहा है।

संत मत्ती और संत मारकुस के सुसमाचार के अनुसार स्तोत्र की पहली पंक्ति को येसु के मुख से निकल रही है। जब येसु क्रूस पर टंगे थे तो उन्होंने अपने पिता को इसी स्तोत्र शब्दों से पुकारा था।

प्रभु येसु को भी ऐसा आभास होने लगा था कि ईश्वर ने उन्हें ऐसे समय में अकेला छोड़ दिया है जब मेरे दुश्मन मेरी हँसी उड़ा रहे हैं, मुझ पर गरजते हुए शेर की तरह टूट पड़े हैं और मेरे कपड़े को फाड़ रहे हैं मानों मेरी मृत्यु हो चुकी है।

स्तोत्र-भजन रचयिता इस बात का स्मरण करता है कि इस्राएल के लोगों ने विपत्ति के समय पूरे विश्वास के साथ ईश्वर को पुकारा था और ईश्वर ने उनकी पुकार सुन ली थी।

वह इस बात की भी याद करता है कि ईश्वर ने अगाध प्रेम से उनकी रक्षा ठीक उसी प्रकार की थी जैसे माँ अपने गर्भ में पल रहे शिशु की चिंता करती है या तो माँ अपने शिशु को अपने बाँहों में लेकर प्यार करती है।

और फिर भी ऐसा लगता है कि अब ईश्वर उससे दूर हो गये हैं। विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भजन गाने वाले का विश्वास और आस्था ईश्वर पर बनी हुई है।

स्तोत्र के अंत में स्तोत्र रचयिता या भजन गाय कहता है कि ईश्वर के नाम की महिमा पूरी दुनिया में फैल जाये। क्रूस की छाया ही जी उठने की उज्ज्वल आशा का मार्ग प्रशस्त करती है।

हमें भी चाहिये कि जब ईश्वर को विपत्ति के समय में पूर्ण आस्था के साथ पूकारें । ईश्वर सदा हमारे लिये मुक्ति लाता पाप और मृत्यु पर विजय प्राप्त करता है।


इतना कह कर उन्होंने अपना संदेश समाप्त किया।

उन्होंने ग्रेट ब्रिटेन, स्कैनडिनाविया, एशिया और उत्तरी अमेरिका, अन्तरराष्ट्रीय करिश्माई नवीनीकरण दल तथा वाटिकन संग्रहालय के संरक्षक दल के सदस्यों तीर्थयात्रियों और उपस्थित लोगों को खुशी और शांति की कामना करते हुए उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।











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