2011-09-05 13:30:52

"सुसमाचार किसी को भयभीत नहीं करता " – कार्डिनल ग्रेशियस


वाटिकन सिटी, 5 सितंबर, 2011 (सीएनए) संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें से मिलने के बाद मुम्बई के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल ऑस्वाल्ड ग्रेशियस ने कहा, " भारत में चरमपंथी इस दुर्भाव को फैलाना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि ऐसा दिखाई पड़े कि ईसाइयों के कार्यों और सुसमाचार से देश को ज़बरदस्त खतरा है। " उन्होंने कहा, कि " चरमपंथियों का भय सच्चाई से परे हैं।"
सीबीसीआई के अध्यक्ष कार्डिनल ग्रेशियस ने उक्त बातें उस समय कहीं जब उन्होंने रोम से पूर्व 24 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित कास्तेल गंदोल्फो के परमधर्मपीठीय प्रासाद में संत पापा से परंपरागत पंचवर्षीय ‘अदलिमिना’ मुलाक़ात के बाद वाटिकन रेडियो को एक साक्षात्कार दिया।
कार्डिनल ने संत पापा को देश में ईसाई विरोधी हिंसा एवं उत्पीड़न के बारे में जानकारी दी।
विदित हो कि पिछले सप्ताह कर्नाटक और दक्षिण-पश्चिम के 22 धर्माध्यक्षों ने संत पापा से मुलाक़ात की और अपने धर्मप्रांत के स्थिति और भविष्य कार्ययोजना के बारे में संत पापा को अवगत कराया।
महाधर्माध्यक्ष ओस्वाल्ड ने कहा कि सुसमाचार में प्रेम, शांति, आनन्द और मानव विकास का संदेश है यह किसी को भयभीत नहीं करता। " उन्होंने यह भी कहा कि " देश के सब लोग इसे नहीं समझ पाये हैं।"
इस सवाल के जवाब में कि क्या भारत में ईसाई विरोधी हिंसा जारी है उन्होने कहा कि " पूरे भारत में ईसाई विरोधी हिंसा नहीं है पर किसी-किसी क्षेत्र में छिट-पुट हिंसा और उत्पीड़न के समाचार आते रहते हैं फिर भी पहले की अपेक्षा हालात अच्छे हैं।"
कार्डिनल ओस्वाल्ड ग्रेशियस ने बताया कि संत पापा ईसाइयों की स्थिति और अंतरधार्मिक वार्ता की प्रगति के बारे में जानने के लिये उत्सुक थे।
सीबीसीआई अध्यक्ष ने कहा उन्होंने संत पापा को भारत आने का निमंत्रण भी दिया और आशा करते हैं कि निकट भविष्य में संत पापा भारत की प्रेरितिक यात्रा करेंगे। अगर यह कार्ययोजना सफल हुई तो यह एक पोप की चौथी यात्रा होगी।
इसके पूर्व सन् 1964 में पौल षष्टम् और सन् 1986 और 1999 में संत पापा धन्य जोन पौल द्वितीय ने भारत का दौरा किया था।
ज्ञात हो कि जनसंख्या के हिसाब से भारत विश्व का चीन के बाद दूसरा सबसे घनी आबादी वाला देश है। 1.18 अरब वाले देश में सिर्फ़ दो फीसदी लोग ईसाई हैं। अल्पसंख्यक होने के बावजूद शिक्षा, स्वास्थ्य और समाज कल्याण के क्षेत्र में ईसाइयों की भूमिका अहम रही है।













All the contents on this site are copyrighted ©.