2011-08-24 12:15:40

काठमाण्डूः नेपाल की काथलिक कलीसिया के अनुसार धर्मान्तरण विरोधी कानून असंवैधानिक


काठमाण्डू, 24 अगस्त सन् 2011 एशियान्यूज़): नेपाल की काथलिक कलीसिया ने सरकार द्वारा प्रस्तावित नई दण्ड संहिता की कड़ी निन्दा की है जिसके तहत धर्मान्तरण वर्जित है।

हाल में काठमाण्डू धर्मप्रान्त के काथलिक पुरोहित फादर शिलास बोगाटी तथा फादर पियुस पेरूमाना ने एक रिपेर्ट प्रकाशित कर प्रस्तावित दण्ड संहिता के 160.1 एवं 160.2 की धाराओं में व्याप्त असंगतियों की ओर ध्यान आकर्षित कराया। उन्होंने कहा कि ये धाराएँ संविधान के 23वें अनुच्छेद से मेल नहीं खातीं जिसमें प्रत्येक नागरिक को अपने धर्मपालन के अधिकार की गारंटी दी गई है।

नई दण्ड संहिता के तहत किसी भी व्यक्ति को अपना धर्म परिवर्तन करने तथा अन्य व्यक्ति के धर्मान्तरण का अधिकार नहीं है। इसके अतिरिक्त, प्रस्तावित संहिता के अन्तर्गत उन व्यक्तियों के लिये सज़ा का प्रावधान है जो हिन्दु जाति या हिन्दु धार्मिक समुदाय के विश्वास अथवा परम्पराओं का अपमान करते हैं। दण्ड पाँच सौ रुपये से लेकर पाँच वर्षीय कारावास तक हो सकता है।

काथलिक पुरोहितों का आरोप है. "नई दण्ड संहिता को प्रस्तावित करने से पूर्व सरकार ने देश के धार्मिक अल्पसंख्यकों से सलाह मशवरा नहीं किया। काथलिक कलीसिया को यह समाचार नेपाली मीडिया से पता चला।"

कलीसिया का कहना है कि नई दण्ड संहिता की उक्त दो धाराएँ नेपाल के पुराने नागर कानून से ली गई हैं जब शाहीतंत्र के अधीन नेपाल एक हिन्दु राज्य था। उन्होंने कहा कि सन् 2007 में नया संविधान पारित हुआ और अब नेपाल एक धर्मनिर्पेक्ष देश बन गया है जिसमें सभी धर्मों के लोगों को समान अधिकार प्राप्त हैं।

जून माह में प्रस्तावित उक्त दण्ड संहिता को अगस्त माह के अन्त तक अनुमोदन मिलना था किन्तु प्रधान मंत्री खनाल के इस्तीफ़े के बाद इसे मुल्तवी कर दिया गया है।








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