2011-08-21 15:19:30

सान जोसेफ संस्थान के लोगों के लिए संत पापा का संदेश


मैड्रिड स्पेन 20 अगस्त 2011 (सेदोक) प्रेरितिक राजदूतावास में रात्रि भोजन करने के बाद संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें 23 किलोमीटर की दूरी तय कर सान जोसेफ इंस्टीच्यूट पहुँचे। शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर और विकलांग लोगों की सेवा के लिए कार्यरत संस्थान के अधिकारियों, चिकित्साकर्मियों और मरीजों द्वारा दिये गये हार्दिक स्वागत और अभिवादन के लिए धन्यवाद देते हुए संत पापा ने कहा- मैड्रिड में विश्व भर के युवाओं के साथ रात्रि जागरण प्रार्थना के पहले हमें समय मिला है कि आप, आपके परिजनों और फाउंडेशन ओफ सेंट जोसेफ इंस्टीचयूट में जो आपकी सेवा और देखरेख करते हैं उनके प्रति संत पापा अपनी समीपता और सम्मान व्यक्त कर सकें।

संत पापा ने कहा कि युवावस्था वह समय है जब जीवन अपनी सब समृद्ध संभावनाओं को हमारे सामने खोलती है तथा लक्ष्यों को पाने के लिए प्रेरणा देती है जो इसे अर्थ प्रदान करता है। इसलिए जब पीड़ा या कष्ट युवा जीवन के क्षितिज पर दिखाई पड़ता है हम विचलित हो जाते हैं हम स्वयं से पूछते हैं- क्या अब भी जीवन महान हो सकता है जब अप्रत्याशित रूप से पीड़ा जीवन में प्रवेश करती है। जो समाज पीड़ित सदस्यों को स्वीकार करने तथा पीड़ितों को सहायता करने में असमर्थ है वह क्रूर और अमानवीय समाज है। ये शब्द मानवता के लम्बे इतिहास को प्रतिबिम्बित करते हैं जो क्रूस पर ख्रीस्त ने स्वयं को हमारे तथा हमारी मुक्ति के लिए अर्पित किया। येसु और उनके पदचिह्नों पर दुःखित माता तथा अनेक संत, साक्षी हैं जो हमें दिखाते हैं कि पीड़ा सहने की त्रासदी को अपनी भलाई तथा संसार की मुक्ति के लिए हम किस प्रकार अनुभव करें। ये साक्ष्य सबसे पहले ईश्वर के प्रतिरूप में निर्मित मानव जीवन की मर्यादा के बारे में कहते हैं। किई भी पीड़ा हमारी मानवता की गहराई में अंकित दिव्य छवि को मिटा नहीं सकती है। ईश पुत्र ने स्वतंत्र रूप से पीड़ा और मृत्यु का आलिंगन किया इसलिए हम भी सक्षम हैं कि जो पीड़ा सहते हैं उनमें ईश्वर की छवि को देख सकें।

संत पापा ने कहा कि हमारा समाज जो बहुधा हर व्यक्ति के जीवन, जीवन के मूल्य के बारे में सवाल करता है उसे आपकी जरूरत है, निर्णायक रूप से आप प्रेम की सभ्यता का निर्माण करने के लिए मदद कर सकते हैं। आप इस सभ्यता में अग्रणी भूमिका निभाते हैं। कलीसिया के बेटे बेटी रूप में आप अपना जीवन, सभी उतार चढ़ाव, प्रभु को चढ़ाते हैं। आप येसु के साथ सहयोग करते हुए सहानुभूति रूपी निधि का भाग बनते हैं जिसकी मानवजाति को बहुत अधिक जरूरत है।








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