धर्मबंधुओं के लिये सम्पन्न यूखरिस्तीय बलिदान में
संत पापा का प्रवचन
मेरे अति प्रिय भाइयो, येसु मसीह के लिये पुरोहित बनने को इच्छुक धर्मबंधुओं के साथ यूखरिस्तीय
बलिदान चढाते हुए मुझे अपार खुशी हो रही है। सन्ता मरिया ला रियल दे ला अलुमदेना का महागिरजाघर
उस ऊपर वाले वाले कमरे के समान है जहाँ येसु अपनी मृत्यु के पहले अंतिम व्यारी का भोज
दिया था। आप लोगों को देख कर यह बिल्कुल स्पष्ट हो जाता है कि येसु अपने कार्य करने के
लिये अपने प्रेरितों को बुलाते रहते और इस तरह सुसमाचार प्रचार का कार्य जारी रहता है।
सेमिनरी के एक धर्मबंधु के रूप में आपका एक पवित्र लक्ष्य है – पिता ईश्वर द्वारा
येसु मसीह को दिये मिशन को जारी रखना। आपने उनकी आवाज़ को सुनी है उनके प्यार को पहचाना
है और अब आपको उस पवित्र कार्य की ओर आगे बढ़ना है।
आप येसु की ओर अपनी आँखे
केन्द्रित कर लीजिये । वे ही ईश्वरीय प्रेम के सर्वोत्तम प्रमाण है। उन्हें धन्यवाद दीजिये
जिन्होंने आपको अपनी विशेष कर दी है।
पहले पाठ में हमने सुना कि येसु नये और
अनन्त पुरोहित हैं जिन्होंने पिता को अपना सर्वोत्तम बलिदान चढ़ाया और कहा " मैं आपकी
इच्छा पूरी करने आया हूँ । " (स्त्रोत्र 39, 8) उनका जीवन प्रार्थनामय और सेवामय रहा।
सुसमाचार मे हमने सुना कि यूखरिस्त मानव के लिये येसु के प्रेम की निःस्वार्थ
अभिव्यक्ति थी, उन लोगों के लिये भी जिन्होंने उसके साथ विश्वासघात किया। उनका बलिदान
मानव के लिये जीवन और मुक्ति का उपहार था।
येसु के बलिदान के द्वारा अब हम मुक्ति
और अनेक वरदानों की आशा कर सकते हैं। अब हम शून्यता या मृत्यु की ओर नहीं बढ़ रहे हैं
पर हम उस प्रतिज्ञात देश की ओर कदम बढ़ा रहे हैं जिसका आदि और अंत प्रभु येसु ही है।
मेरे प्यारे धर्मबंधुओ, आपने येसु का येसु के साथ येसु के समान जीने का मन बनाया
है और आप चाहते है कि आप उन लोगों का साथ दें जो ईश्वर के पास पहुँचने की यात्रा करे
रह हैं।
इस महान् कार्य के लिये आपका समय मूल्यवान है। आपका समय आंतरिक शांति
का समय हो, प्रार्थना और अध्ययन का हो ताकि बाद में आप कलीसिया द्वारा संचालित विभिन्न
प्रेरितिक कार्यों की ज़िम्मेदारी उठा सकें।
काथलिक कलीसिया समुदायों, संस्थाओं
और प्रेरितक कार्यों में लगे परिवारों का एक ऐसा संगठन है जिसकी स्थापना पवित्र आत्मा
की प्रेरणा से येसु मसीह ने की है जिसे हम अपनी कमजोरियों के बावजूद बनाये रखने का प्रयास
करते हैं।
आज हम बुलाये गये हैं ताकि हम संतों-सा आचरण करें ताकि हमारे मिशन और
लक्ष्य में कोई विरोधाभास न हो।
आज मैं आप लोगों से कहना चाहता हूँ आप सप्रेम,
नम्रतापूर्वक, खुले मन से और सुसमाचार के वचनों का पूर्ण वफ़ादारी के साथ अध्ययन करते
हुए कलीसिया के मिशन और रहस्य पर चिन्तन करें।
आप इस बात को ठीक से जानें कि
आपको बुलाहट का वरदान दिया गया है और विपरीत परिस्थितियों के बावजूद आपको भले कार्यों
को करना है। आपको उस बात को सदा याद करना है जिसे अभिषेक के दिन उच्चरित किया जाता है
- पुरोहित का जीवन अर्थात् क्रूसित येसु को आदर्श बनाना।
येसु को अपना आदर्श
मानने का अर्थ है येसु के समान सेवक, पुरोहित और बलिदान का जीवन जीना।
आप पवित्र
आत्मा के प्रति खुले रहें, दुनियावी सुविधाओं से दूर सादगीपूर्ण जीवन जीयें और बिना बहानों
के ईमानदारीपूर्वक आज्ञापालन करें। ईश्वर से प्रार्थना करें कि ताकि आप बीमारों और
ग़रीबों के करीब उदारता और सादगी में अपना जीवन जीयें। चुनौतियों का सामान सेवा भाव से
ऐसा करें जैसा कि एक ईश्वरीय व्यक्ति करता हो।
ईश्वरीय प्रेम से प्रेरित होकर
ऐसा जीवन जीयें कि ताकि आप उनसे कभी अलग न हों। दुनिया के लोग कई अन्य बातों की चर्चा
करें और झूठी शक्तियों को हासिल करने का प्रलोभन दें पर आप प्रभु येसु में बने रहें औऱ
लोगों को ईश्वर सत्य और न्याय के लिये जीने की प्रेरणा दें।
अपने प्रशिक्षणदाताओं
के प्रति खुले रहे ताकि आप जान सकें कि यह रास्ता जो हिम्मत और ईमानदारी की माँग करता
है आप उसे पहचान सकें। अपने आपको नम्र और विनीत कहने वाले येसु से आप सीखें कि दुनिया
का त्याग का अर्थ क्या है।
यह दुनिया की वस्तुओं को पाना नहीं पर दूसरों का जीवन
बनाना जैसा कि स्पेन के धर्मप्रांतीय पुरोहितों के संरक्षक संत जोन ऑफ अविला ने किया
था।
माता मरिया निश्चय ही इस आपके ह्रदय को प्रेरित करेंगी ताकि आप येसु के समान
उस मुक्ति को लोगों के लिये ला सकें जिसे उन्होंने कलवरी में कमाया था।