2011-08-19 12:17:34

मैडरिडः अर्थव्यवस्था को केवल लाभ के मापदण्ड से नहीं मापा जा सकता, बेनेडिक्ट 16 वें


मैडरिड, 19 अगस्त सन् 2011 (सेदोक): सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने कहा है कि अर्थव्यवस्था को केवल लाभ के मापदण्ड से नहीं मापा जा सकता। उन्होंने कहा कि कोई भी अर्थ व्यवस्था केवल मार्केट नियमों के अधीन रहकर प्रभावात्मक नहीं हो सकती बल्कि मानव कल्याण के लिये काम करने हेतु उसे नैतिक मूल्यों से जुड़े रहने की आवश्यकता है।

स्पेन में अपनी चार दिवसीय यात्रा के प्रथम दिन पत्रकारों से बातचीत करते हुए सन्त पापा ने वर्तमान जगत पर छाई आर्थिक मन्दी पर अपने विचार व्यक्त किये।

उन्होंने कहा, "आर्थिक स्थिति को केवल अधिकाधिक लाभ के मापदण्ड से नहीं मापा जा सकता बल्कि उसका सही मापदण्ड मानव कल्याण होना चाहिये।" सन्त पापा ने कहा कि विश्व में व्याप्त आर्थिक संकट स्पष्ट दर्शाता है कि नैतिक आयाम आर्थिक समस्याओं से अलग नहीं किया जा सकता क्योंकि वह उसका अभिन्न अंग है। उन्होंने कहा कि वह अर्थव्यवस्था कभी भी सफल नहीं हो सकती जो केवल लाभ के बारे में सोचे किन्तु मानव व्यक्ति के कल्याण और उसकी प्रतिष्ठा का ध्यान न रखे।

सन्त पापा ने कहा, "आर्थिक व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिये सभी को अपनी ज़िम्मेदारी का निर्वाह करना होगा। सृष्टि के नियमों का पालन करते हुए व्यक्ति को देश के प्रति और देश को सम्पूर्ण विश्व के प्रति ज़िम्मेदार होना पड़ेगा तब ही अर्थव्यवस्था सफल हो सकती है।"

गुरुवार सन्ध्या सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने मैडरिड के "प्लाज़ा दे सिबेलेस" में विश्व युवा दिवस के लिये विश्व के विभिन्न क्षेत्रों से एकत्र लाखों युवाओं का अपना सन्देश दिया। स्पेन एवं वाटिकन के ध्वज फहराते तथा "हम सन्त पापा के युवा हैं", शब्दों से जयनारे लगाते लगभग 190 राष्ट्रों के लाखों उत्साही युवाओं ने अपने बीच 84 वर्षीय काथलिक कलीसिया के परमाध्यक्ष सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें का स्वागत किया। सन्ध्या सात बजे सन्त पापा के लाज़ा दे सिबेलेस में प्रवेश करते ही सम्पूर्ण प्लाज़ा करतल ध्वनि एवं जयनारों से गूँज उठा। ...............................

सन्त पापा ने रोज़गार एवं बेहतर जीवन की अनिश्चित्तताओं से घिरे युवाओं के प्रति एकात्मता एवं समर्थन का प्रदर्शन किया किन्तु उपभोक्तावाद एवं सुखवाद से उत्पन्न होनेवाली गम्भीर चुनौतियों के प्रति भी सचेत कराया। उन्होंने उन लोगों की कड़ी निन्दा की जो, "अपने भगवानों की सृष्टि का दावा करते तथा इस भ्रम में पड़े रहते हैं कि उन्हें किसी प्रकार के मूल अथवा आधार की आवश्यकता नहीं है।"

ख्रीस्तीय धर्म के मूल्यों को जीवन से अलग करनेवालों को भी उन्होंने फटकार बताई और कहा, "यूरोप का निर्माण ख्रीस्तीय मूल्यों की सुदृढ़ नींव पर हुआ है जिसे किसी भी हालत में कमज़ोर नहीं होने दिया जाना चाहिये।"

ग़ौरतलब है कि प्रधान मंत्री ज़ापातेरो की समाजवादी सरकार कई बार गर्भपात एवं सुखमृत्यु के मुद्दे पर कलीसिया से टकराई है। इसके अतिरिक्त सन् 2005 से स्पेन ने "गे मैरिज" यानि समलिंगकामियों के विवाह को वैध घोषित कर दिया है।








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