नई दिल्लीः भ्रष्टाचार विरोधी अभियान का कोई औचित्य नहीं, ख्रीस्तीय नेता
नई दिल्ली, 17 अगस्त सन् 2011 (ऊका समाचार): भारत के ख्रीस्तीय नेताओं ने सामाजिक कार्यकर्त्ता
अन्ना हज़ारे के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान को अनुचित बताया है।
भारतीय काथलिक
धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के प्रवक्ता फादर बाबू जोसफ ने कहा, "सरकार द्वारा संसद में भ्रष्टाचार
के विरुद्ध एक विधेयक प्रस्तावित कर दिया गया है इसलिये इस प्रकार के आन्दोलन का कोई
औचित्य नहीं।"
स्मरण रहे कि अप्रैल माह में हज़ारे द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन
के बाद सरकार ने लोकपाल बिल का प्रारूप तैयार किया था किन्तु हज़ारे और उनकी टीम कुछेक
बिन्दुओं पर सहमत नहीं हैं। वे चाहते हैं कि प्रधान मंत्री एवं न्यायपालिका को भी लोकपाल
के दायरे में लिया जाये।
अखिल भारतीय ख्रीस्तीय संगठन के अध्यक्ष जॉन दयाल ने
कहा, "इस प्रकार का तानाशाही रवैया साफ़ दर्शाता है कि हज़ारे लोकतांत्रिक मूल्यों का
सम्मान नहीं करते।"
मंगलवार को अन्ना हज़ारे की गिरफ्तारी के बाद प्रधान मंत्री
मनमोहन सिंह ने संसद में गिरफ्तारी को उचित ठहराते हुए कहा था कि पुलिस के पास और कोई
विकल्प नहीं था क्योंकि हज़ारे अनशन के लिये पुलिस की शर्तें मानने को तैयार नहीं थे।
उन्होंने कहा कि वे स्वीकार करते हैं कि भ्रष्टाचार के विरुद्ध लोकपाल बिल पारित होना
चाहिये किन्तु कानून बनाने का संवैधानिक अधिकार केवल संसद का है। उन्होंने कहा अन्ना
अपना लोकपाल थोपना चाहते हैं जो उन्हें मंज़ूर नहीं।
प्रधान मंत्री ने कहा, "मुझे
ऐसे किसी संवैधानिक दर्शन या सिद्धांत की जानकारी नहीं है, जो कानून बनाने के संसद के
विशेषाधिकार पर सवाल उठाने की अनुमति दे।"
ग़ौरतलब है कि 16 अगस्त को हज़ारे
के अनशन शुरु करने से पहले ही पुलिस ने उन्हें तथा उनके ख़ास समर्थकों को गिरफ्तार कर
लिया था और बाद तिहाड़ जेल भेज दिया था।