उत्तर भारत में कलीसिया हिन्दी भाषा के प्रचार प्रसार को प्रोत्साहन देगी
इलाहाबाद उत्तरप्रदेश 12 अगस्त 2011 ( उकान) उत्तरी भारत के काथलिक कलीसियाई धर्माध्यक्षों
ने हिन्दी और स्थानीय भाषाओं के माध्यम से परम्परा और संस्कृति का प्रसार करने का निर्णय
लिया है। यह फैसला हिन्दी क्षेत्र के धर्माध्यक्षों की इलाहाबाद में 8 और 9 अगस्त को
सम्पन्न दो दिवसीय बैठक में लिया गया। धर्माध्यक्षों ने रेखांकित किया कि क्षेत्र में
कलीसिया के लिए यह जरूरी है कि उसके सम्वाद सम्प्रेषण की भाषा, राष्ट्रीय भाषा, हिन्दी
हो।
हिन्दी भाषी क्षेत्र के धर्माध्यक्षों की सभा के संयोजक इलाहाबाद के धर्माध्यक्ष
इसीदोर फर्नान्डेज ने कहा कि हिन्दी भाषी क्षेत्र के सामान्य मुद्दों का समाधान के लिए
हिन्दी का प्रसार करने की बहुत जरूरत है। उन्होंने कहा कि यदि चर्च लोगों को उनकी भाषा,
संस्कृति और परम्परा के द्वारा नहीं जोड़ती है तो यह बहुत मुश्किल है कि वह उनके जीवन
में बहुत फर्क नहीं ला सकती है।
हिन्दी भाषी क्षेत्र के धर्माध्यक्षों की सभा
के नये संयोजक नियुक्त किये गये भोपाल के महाधर्माध्यक्ष लेओ कोरनेलियो ने कहा कि यह
कलीसिया के लिए जरूरी है कि वह लोगों तथा कलीसियाई अधिकारियों के मध्य सम्वाद की जो दूरी
या गैप है उसे दूर करे। यह अपने अधिकारियों और कार्यकर्त्ताओं को हिन्दी सीखने के लिए
जोर देगी। उन्होंने कहा कि कलीसियाई अधिकारियों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की है कि न
केवल हिन्दी भाषा लेकिन स्थानीय बोलियों और भाषाओं का भी प्रसार किया जायेगा साहित्यिक
कार्यों के द्वारा कलीसिया के सम्वाद सम्प्रेषण में सुधार लाया जायेगा।
मध्यप्रदेश
में काथलिक कलीसिया के प्रवक्ता फादर आनन्द मुत्तुंगल ने कहा कि हिन्दी भाषा के प्रसार
के लिए कलीसियाई अधिकारियों ने हिन्दी पत्रिका शुरू करने पर सहमति व्यक्त की है। इस पाक्षिक
पत्रिका का प्रकाशन जनवरी माह से पहले किया जायेगा। Conference of Diocesan Priests of
India National के अध्यक्ष फादर फ्रांसिस स्कारिया ने उक्त फैसलों का स्वागत करते हुए
कहा कि ये कदम चर्च को स्थानीय जनता के साथ एक होने के लिए सहायता करेंगे।