स्वामी लक्ष्मणानन्दा की हत्या की पुनर्जाँच के निर्दश का स्वागत
भुवनेश्वर, 6 अगस्त, 2011 (कैथन्यूज़) काथलिक कलीसिया ने उड़ीसा हाई कोर्ट के उस आदेश
का स्वागत किया है जिसके अंतर्गत कंधमाल में स्वामी लक्ष्मणान्दा सरस्वती और उसके चार
सहयोगियों की हत्या की पुनर्जाँच के आदेश दिये गये हैं।
भुवनेश्वर महाधर्मप्रांत
के फादर संतोष दिग्गल ने जाँच के आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि " हत्याकाण्ड के संबंध
में चर्च किसी भी जाँच का स्वागत करती है जो सच्चाई को उज़ागर करे।"
ज्ञात कि
तीन वर्ष हुए इस हत्या के लिये ईसाइयों को ज़िम्मेदार ठहराया गया था। और पुलिस ने 14
लोगों इसके आरोप में गिरफ्तार भी कर लिये थे।
इस संबंध में कंधमाल के एक लोअर
कोर्ट में मुकदमा दायर किया गया था जिसका केस अब भी जारी है।
फादर ने कहा कि
" हम सत्य के पक्षधर है, यह जाँच सत्य और उससे जुड़ी बातों को खोज निकाले और दोषियों
को सजा मिले। "
ग़ौरतलब है कि ह्त्या के तुरन्त बाद माओवादियों के हत्या की ज़िम्मेदारी
अपने ऊपर के बावजूद चरमपंथी हिन्दुओं ने इस हत्या के लिये ईसाइयों को ज़िम्मेदार ठहराते
हुए करीब 90 लोगों की हत्या कर दी थी और इस हिंसा के कारण 50 हज़ार लोग महीनों बेघर-बार
हो गये थे।
उड़ीसा हाई कोर्ट ने 4 अगस्त को आदेश दिया कि वे पुलिस नये सिरे
से चार्जशीट दायर करे।
स्वामी लक्षमणान्दा का एक अनुयायी ब्रह्मचारी चैतन्य ने
चर्च पर आरोप लगाते हुए कहा है कि " चर्च ने उनके स्वामी की हत्या कर दी क्योंकि वे हिंदुओं
के धर्मांतरण के मार्ग में बाधक थे।
भुवनेश्वर महाधर्मप्रांत के न्याय एवं शांति
के लिये बनी आयोग के फादर दिव्य सिंह परिशहा कहा कि इस हत्या के लिये चर्च की ओर उँगली
उठाना " तुच्छ और दुर्भावनापूर्ण " है।
वकील सह फादर दिव्य सिंह ने का कि हिन्दु
चरमपंथियों ने ईसाइयों पर झूठा आरोप लगाना ईसाइयों के विरुद्ध " भीषण नरसंहार " की ज़िम्मेदारी
लेने से बचने का छिछला प्रयास है।
उनका मानना है कि अगर इस काण्ड की सुनवाई स्वतंत्र
और निष्पक्ष तरीके से सम्पन्न होगी तो निश्चिय ही हत्यारों के चेहरे बेनकाब कर दिये जायेंगे।
उन्होंने माँग कि है कि हत्या की जाँच राष्ट्रीय अन्वेषक दल करे ताकि कंधमाल
के ईसाई विरोधी हिंसा के शिकार लोगों को न्याय मिल सके।