2011-08-05 16:42:50

यूरोप में नई पीढ़ी के राजनीतिज्ञों से मौलिक ईसाई आदर्शों और मूल्यों की रक्षा करने का आह्वान


रोम इटली 4 अगस्त (सीएनए) यूरोप के प्रमुख काथलिक राजनैतिक चिंतक ने नई पीढ़ी के राजनीतिज्ञों से कहा है कि वे मौलिक ईसाई आदर्शों और मूल्यों की रक्षा और प्रसार करें। इताली संसद के चैम्बर ओफ डिपयूटिस के उपाध्यक्ष रोक्को बुटिगलियोन ने कहा कि हमें राजनीति में ऐसे लोगो की जरूरत है जिनका अंतकरण है। और उनके विचार से ईसाई लोगों में मूल्यों का बड़ा खदान है और हमें लोगों को बताना चाहिए। उन्होंने युवाओं का आह्वान किया कि वे राजनीति से जुड़े और अपने हाथों से अपनी भूमि के भविष्य की रचना करें। बुट्टिलियोन का नाम सन 2004 में राजनैतिक सुर्खियों में आया जब उन्हें यूरोपीय संघ के आयोग में इताली प्रतिनिधि के तौर पर उनके नाम पर समलैंगिकता जैसे मुद्दों पर उनकी काथलिक मान्याताओं के कारण रोक लगाया गया। उन्होंने कहा कि अच्छी चीजों के लिए बहुत ऊँची कीमत अदा करनी पड़ती है जो वाजिब है। यदि आप राजनीति में काथलिक बने रहना चाहते हैं तो आपको त्याग करना पड़ेगा और अपने अंतःकरण की पुकार को पद या राजनैतिक पदवी से अधिक महत्व देना होगा।
उन्होंने सवालिया अंदाज में कहा कि क्या आप उस व्यक्ति पर भरोसा करेंगे जो अपने राजनैतिक कैरियर को अपनी अंतःकरण से अधिक महत्व देता है। बुटिलियोने और अन्य राजनीतिज्ञों द्वारा प्रस्तुत चुनौतियों का अनेक युवा काथलिक राजनीतिज्ञ प्रत्युत्तर दे रहे हैं। काथलिक सामाजिक मूल्यों पर आधारित नई पार्टी जोवानी लिबेरी ए फोरती के सह संस्थापक 24 वर्षीय सिमोने बुदिनी ने कहा कि राजनीति उनके द्वारा करनी चाहिए जो हीरो हैं। हीरो वैसे लोग हैं जो राजनीति में इसलिए हैं क्योंकि वे अपने शहर को प्यार करते हैं और अपने शहर के लिए अपना जीवन देना चाहते हैं। लेकिन आज ऐसे उदाहरण हैं जो इसके विपरीत हैं। वे अपनी सुख सुविधा के लिए शहर को बेचने के लिए तैयार हैं।
रोम स्थित संत पियुस पंचम विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर और राजनीतिज्ञ 63 वर्षीय रोक्को बुटिलियोने समाज विज्ञान संबंधी परमधर्मपीठीय अकादमी के सदस्य भी हैं। उन्होंने कहा कि पाश्चात्य जगत के लोकतंत्र के सामने नष्ट हो जाने का खतरा है क्योंकि राजनैतिक गतिविधि सिद्धान्तों पर आधारित नहीं है। उन्होंने भविष्य के लिए आशा व्यक्त करते हुए कहा कि सफलता की कुँजी सत्य है। राजनीति में फिर से सत्य को लाना है। हमें लोगों को सत्य बताने में समर्थ होना चाहिए। बहुधा राजनीतिज्ञ सत्य नहीं बताते लेकिन वही कहते हैं जो लोग सुनना चाहते हैं और बहुत बार लोग वही सुनना चाहते हैं जो सत्य नहीं है।








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