केरल, 27 जुलाई सन् 2011 (ऊका समाचार): दो काथलिक पुरोहितों के अभियान के बाद केरल राज्य
की सरकार ने गुर्दा दान निर्देशों के पुनरावलोकन की घोषणा की है। इस समय ग़ैर रिश्तेदारों
द्वारा गुर्दादान निषिद्ध है। केरल राज्य के मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने सोमवार को
कहा कि स्वैच्छिक गुर्दा दान को शीघ्र ही मंजूरी मिलने के लिये वे संघीय अधिकारियों पर
दबाव डालेंगे। चांडी ने कहा कि उक्त काथलिक पुरोहितों द्वारा मुद्दे को उठाये जाने तक
उन्हें समस्या के बारे में पता नहीं था। उन्होंने कहा, "मैंने स्वास्थ्य के प्रमुख सचिव
को मामले पर विचार करने का निर्देश दे दिया है।"
20 जुलाई को, मलंकारा रीति
के काथलिक पुरोहित फादर संतोष जॉर्ज द्वारा भूख हड़ताल के मद्देनजर मुख्यमंत्री चांडी
ने उक्त कार्रवाई की।
39 वर्षीय फादर संतोष जॉर्ज गंभीर रूप से बीमार एक हिन्दू
लड़की, 17 वर्षीया जयश्री, के लिये गुर्दा दान करना चाहते थे किन्तु जयश्री से पारिवारिक
सम्बन्ध न होने के कारण अंग प्रत्यारोपण समिति ने अनुमति देने से इनकार कर दिया था।
भारतीय अंग प्रत्यारोपण के नियमों के तहत सरकारी अस्पतालों में ग़ैर रिश्तेदारों
द्वारा गुर्दादान वर्जित है। अंगों की तस्करी को रोकने के लिये संघीय सरकार द्वारा यह
प्रतिबन्ध लगाया गया है।
फादर जॉर्ज ने तिरुवनंतपुरम में केरल सरकार के मुख्यालय
के सामने में भूख हड़ताल कर गुर्दा रोगियों के पक्ष में "मानवतावादी विचार" रखने की मांग
की थी। उन्होंने कहा कि विगत छः वर्षों से पीड़ित गुर्दा रोगी जयश्री के बारे में जानने
के बाद उन्होंने गुर्दा दान की इच्छा जताई थी।
तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में
एक अनाथालय के प्रबंधक फादर जॉर्ज चाहते हैं कि सरकार उक्त "अमानवीय कानून" का पुनरावलोकन
करे जो अधिकतर निर्धनों को प्रभावित करता है।
इससे पहले, एक अन्य काथलिक पुरोहित
फादर डेविस चीरामल ने इसी मांग के सिलसिले में राज्य के स्वास्थ्य विभाग से संपर्क किया
था।
भारत के "किडनी फेडरेशन" के संस्थापक, फादर डेविस चीरामल दो वर्ष पहले एक
हिन्दू मज़दूर को अपने गुर्दे के दान के बाद सुर्खियों में आये थे।
उन्होंने
कहा कि केरल में लगभग 2000 रोगी गुर्दा प्रत्यारोपण के लिए चिकित्सा बोर्ड की मंजूरी
का इंतज़ार कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "अनुमति मिलने में बहुत अधिक समय लग जाता है और
बीच कई रोगियों की मौत हो जाती है।"