नई दिल्ली, 26 जुलाई सन् 2011 (ऊका समाचार): नई दिल्ली में मंगलवार से ईसाईयों की तीन
दिवसीय भूख हड़ताल आरम्भ हो गई है जिसका समापन 28 जुलाई को संसद तक प्रदर्शन से होगा।
भूखहड़ताल का उद्देश्य भारत में दलित ख्रीस्तीयों की व्यथा पर सरकार का ध्यान
आकर्षित कराना है। ग़ौरतलब है कि हिन्दु, बौद्ध एवं सिक्ख धर्मों के दलितों को अनुसूचित
जातियों की सूची में रखा गया है जिन्हें नौकरी आदि की सरकारी सुविधाएँ मिलती हैं जबकि
इस्लाम एवं ख्रीस्तीय धर्मों के दलितों को इन सुविधाओं से वंचित रखा गया है।
देहली
के जंतर मंतर पर एकत्र प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व करनेवाले देहली के काथलिक महाधर्माध्यक्ष
विन्सेन्ट कॉनचेसाओ ने पत्रकारों से कहाः "हमारा आंदोलन अहिंसक है और हम न्याय मिलने
तक संघर्ष करते रहगें।" महाधर्माध्यक्ष कॉनचेसाओ ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के नेतृत्व
वाली सरकार पर, दलित ख्रीस्तीयों को सुविधाएँ उपलब्ध कराने में सबसे बड़ी बाधा होने तथा
लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया। उन्होंने चेतावनी दी कि दलित ख्रीस्तीयों को अनुसूचित
जाति का दर्जा न प्रदान कर सरकार ख़ुद अशांति और मुसीबतों को आमंत्रित कर रही है।
भूखहड़ताल एवं विरोध प्रदर्शन के एक आयोजक फादर कॉसमोन आरोक्यसामी ने बताया कि
प्रदर्शन में काथलिक एवं सभी अन्य ख्रीस्तीय सम्प्रदायों के धर्माध्यक्ष, पुरोहित एवं
लोकधर्मी भाग ले रहे हैं।