पश्चिम और मुस्लिमों में एक-दूसरे के प्रति नकारात्मक रवैया बरक़रार
फोर्ब्स, 25 जुलाई, 2011(एपी) " हालाँकि पिछले पाँच वर्षों के अंतराल में पश्चिमी देशों
ने मुस्लिमों के प्रति अपने रुख में कुछ सुधार किया है तथापि पश्चिम और मुसलिम अब भी
एक-दूसरे के प्रति नकारात्मक रूख अपनाये हुए हैं।" उक्त बात की जानकारी आईपीएस सूत्रों
ने ‘पीउ ग्लोबल अटिट्यूड प्रोजेक्ट’ के सर्वे का हवाला देते हुए दी। विदित हो कि पीजीएपी
ने एक सर्वेक्षण किया था जिसमें छः ईसाई, छः मुस्लिम देशों, इस्राएल और पालिस्तीन क्षेत्रों
शामिल किया गया था। सर्वेक्षण के अनुसार पश्चिम के लोग मुस्लिमों को हिंसावादी और
कट्टर लोगों के रूप में देखते हैं और मुस्लिम विशेषकर मध्य पूर्वी और एशिया के लोग पश्चिमी
देश के लोगों को स्वार्थी, अनैतिक और लालची के रूप में देखते हैं। इसके साथ मुस्लिम भी
समझते हैं कि पश्चिम के लोग कट्टर और हिंसावादी हैं। पीजीएपी के निदेशक और संस्थापक
अन्द्रु कोहुत का मानना है कि " दोनों दलों के बीच काफ़ी गहरा भतभेद और समझदारी का अभाव
है।" सर्वेक्षण के अनुसार तीन देशों के उत्तरदाताओं ने बताया कि " उनका विश्वास है
कि कुछ धर्मों के लोगों में हिंसा के प्रति झुकाव दूसरे धर्मों से ज़्यादा है। " अधिकतर
ईसाई उत्तरदाताओं ने इस बात पर जोर दिया कि इस्लाम धर्म सबसे अधिक हिंसावादी है। दूसरी
ओर मुस्लिम देशों के उत्तरदाताओं ने यहूदी धर्म सबसे अधिक हिंसक धर्म है। तुर्की
के उत्तरदाताओं ने कहा कि कुछ धर्म के लोग अन्यों से ज़्यादा हिंसक हैं। 45 प्रतिशत लोगों
ने कहा ईसाई धर्म हिंसक है औऱ 41 प्रतिशत लोगों ने यहूदी धर्म को हिंसक कहा। पीजीएपी
द्वारा संचालित इस सर्वेक्षण में पश्चिमी देशों में अमेरिका, स्पेन, जर्मनी, फ्रांस,
ब्रिटेन और रूस को चुना गया था। मुस्लिम देशों में इंडोनेशिया, लेबानोन, पाकिस्तान,
मिश्र, जोर्डन और तुर्की के साथ फिलीस्तीन के क्षेत्र को भी चुना गया था। सर्वक्षण
के लिये इस वर्ष मार्च और अप्रैल के बीच प्रत्येक देश के एक-एक हज़ार व्यक्तियों के साथ
साक्षात्कार सम्पन्न हुए थे।