देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा द्वारा दिया गया संदेश
कास्तेल गांदोल्फो, रोम 25 जुलाई 2011 (ज़ेनित) संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रविवार
24 जुलाई को कास्तेल गांदोल्फो स्थित प्रेरितिक प्रासाद के भीतरी प्रांगण में देश विदेश
से आये हजारों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के साथ देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया।
उन्होंने रविवारीय परम्परा के अनुसार देवदूत संदेश प्रार्थना के पाठ से पूर्व इताली भाषा
में तीर्थयात्रियों को सम्बोधित करते हुए कहाः
अतिप्रिय भाईयो और बहनो,
आज
की पूजन धर्मविधि में, पुराने विधान से लिया गया पाठ हमारे सामने राजा सुलेमान, राजा
दाऊद के पुत्र और उत्तराधिकारी की छवि को प्रस्तुत करता है। हमारे सामने उसे प्रस्तुत
किया गया है जब वह अपने शासन काल के आरम्भ में हैं और वह बहुत युवा था। सुलेमान को विरासत
में बहुत कठिन काम और जिम्मेदारी मिली जो युवा राजा के लिए बहुत भारी था। बाइबिल कहती
है- सबसे पहली चीज उसने की वह था उसने ईश्वर को बलिदान अर्पित किया। तब इसके बाद ईश्वर
ने उसे रात्रि में दर्शन देकर उसे वह देने की प्रतिज्ञा की जिसकी उसने प्रार्थना में
याचना की थी। और यहाँ हम देखते हैं सुलेमान की आत्मा की महानता। उसने अपने लिए न तो लम्बी
आयु, न धन सम्पत्ति और न अपने शत्रुओं का विनाश माँगा लेकिन उसने ईश्वर से माँगा- अपने
इस सेवक को विवेक देने की कृपा कर जिससे वह न्यायपूर्वक तेरी प्रजा का शासन करे और भला
तथा बुरा पहचान सके। और प्रभु ईश्वर ने उसकी प्रार्थना सुनी जिससे सुलेमान अपने विवेक
और न्यायपूर्ण फैसलों के लिए सम्पूर्ण विश्व में विख्यात हुआ।
राजा सुलेमान
से ईश्वर से एक विनम्र हृदय देने की याचना की। इस अभिव्यक्ति का क्या अर्थ है ? हम जानते
हैं कि बाइबिल में हृदय का अर्थ केवल शरीर का एक अंग नहीं होता लेकिन व्यक्ति का केन्द्र,
उसके मनोरथों और उसके फैसलों का आसन। हम कह सकते हैं कि यह अंतःकरण है। विनम्र हृदय का
अर्थ है अंतःकरण जो सुनना जानता है, जो सत्य की पुकार के प्रति संवेदनशील है और इसीलिए
यह बुराई तथा भलाई के मध्य सुविचार करने में सक्षम है। राजा सुलेमान के मामले में, उसका
आग्रह इस्राएल देश का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी से निर्देशित है, इस्राएली जनता जिसे
ईश्वर ने संसार की मुक्ति के लिए अपनी योजना को प्रकट करने के लिए चुना था। इसी कारण
से इस्राएल का राजा ईश्वर के साथ सामंजस्य में रहने को चुने, उनके वचन को सुने, उनकी
प्रजा को प्रभु के मार्ग, न्याय और शांति के पथ पर ले चले।
राजा सुलेमान का उदाहरण
हर मनुष्य के लिए सुसंगत है। हम में से प्रत्येक जन के पास अंतःकरण है- जो एक तरह से
राजा अर्थात कर्म करने की महान मानव मर्यादा का अभ्यास जो उचित रूप से निर्मित अंतःकरण
के अनुसार हो, भलाई करे और बुराई से बचे। नैतिक अंतःकरण के लिए आवश्यक होना सत्य की पुकार
को सुनने की क्षमता, इसके निर्देशों के प्रति विनम्र होना और इस तरह जैसा की राजा सुलेमान
कहते हैं- ईश्वर के होने की और अधिक जरूरत। लेकिन हर व्यक्ति को ठोस परिस्थिति में जिसमें
वह स्वयं को पाता है अपनी भूमिका अदा करनी है। भ्रामक मानसिकता सुझाव देती है कि हम ईश्वर
से अच्छी चीजों तथा सुविधापूर्ण परिस्थितियों की याचना करें। वस्तुतः हमारे जीवन और सामाजिक
अस्तित्व की सच्ची गुणवत्ता प्रत्येक व्यक्ति की उचित तरीके से निर्मित अंतःकरण पर निर्भर
करती है, हर व्यक्ति की क्षमता तथा भलाई पहचानने, इसे बुराई से अलग करने तथा धैर्यपूर्वक
इसे यथार्थ बनाने पर निर्भर करती है। इसलिए हम कुँवारी माता मरिया, विवेक का सिंहासन
से सहायता माँगे। उनका हृदय ईश्वर की इच्छा पूरी करने के लिए पूरी तरह समर्पित है। यद्यपि
वह विनम्र और सरल हैं, ईश्वर की आँखों में मरिया रानी हैं तथा हम उनकी उसी तरह आराधना
करते हैं। पवित्र कुँवारी, ईश्वर की कृपा की सहायता से हमें अंतःकरण का निर्माण करने
की सहायता करे जो सदैव सत्य के लिए खुला और न्याय के प्रति संवेदनशील हो तथा ईश्वर के
राज्य की सेवा करे।
इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना का
पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।