महाधर्माध्यक्ष फिसीकेल्ला का कहना कलीसिया युवाओं की भाषा सीखे
मैड्रिड स्पेन, 22 जुलाई 2011 (ज़ेनित) परमधर्मपीठीय नवीन सुसमाचार प्रसार समिति के
अध्यक्ष महाधर्माध्यक्ष रिनो फिसीकेल्ला ने कहा कि युवाओं के मध्य सुसमाचार प्रचार करने
के लिए कलीसिया को युवाओं की संस्कृति को समझना चाहिए जहाँ स्वतंत्रता और विज्ञान प्रभावी
मूल्य हैं। महाधर्माध्यक्ष फिसीकेल्ला ने मैड्रिड के किंग हुआन कारलोस यूनिवर्सिटी में
यंग पीपल एंड द काथलिक चर्चः पोइंटस फोर ए यूथ मिनिस्ट्री फोर टूडे शीर्षक से इस सप्ताह
सम्पन्न हो रहे समर कोर्स में बुधवार को अपने विचार व्यक्त किये। महाधर्माध्यक्ष के भाषण
का शीर्षक थाः यंग पीपल एंड गोड , यंग पीपल एंड जीजस क्राइस्ट , यंग पीपल एंड इटरनल लाईफ।
परमधर्मपीठीय नवीन सुसमाचार प्रसार विभाग के अध्यक्ष ने कहा कि एक व्यक्ति युवाओं
को ख्रीस्त के बारे में नहीं बता सकेगा यदि वह स्वतंत्रता के बारे में नहीं कहता है जिसे
आज के युवाओं ने अपनी संस्कृति में शामिल किया है, लेकिन स्वतंत्रता हमेशा सत्य के संदर्भ
में हो जैसा कि सत्य से स्वतंत्रता उत्पन्न होती है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि
आज के युवाओं की संस्कृति जो कि वैज्ञानिक है इसे जाने बिना एक व्यक्ति युवाओं के सामने
ईश्वर के बारे में नहीं कह सकता है। आज की संस्कृति, इसके विषयवस्तु विज्ञान के तत्वों
से भरे हैं। उन्होंने कहा कि कलीसिया विज्ञान के पक्ष में है लेकिन विज्ञान मानवता के
पक्ष में हो और यह कदापि मानवता के विरोध में नहीं हो। उन्होंने कहा कि समय आयेगा जब
विज्ञान सच्चाई के क्षेत्रों की बेहतर जानकारी पाने तथा दुःख, विश्वासघात और मृत्यु का
जवाब देने अर्थात् महान सवालों, अर्थ से जुड़े सवालों का जवाब देने में सक्षम होने के
लिए स्वयं ईशशास्त्र से सहायता माँगेगा। महाधर्माध्यक्ष फिसिकेल्ला ने इंगित किया
कि विज्ञान, निजी जीवन और नैतिकता के मध्य पारस्परिक क्रिया जरूरी है, एक के बिना दूसरा
जीवित नहीं रह सकता है। उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति एक ही समय में काथलिक और वैज्ञानिक
हो सकता है। वैज्ञानिक ज्ञान का अनुभव पाने का अर्थ नास्तिकवाद नहीं है। विज्ञान की
अपनी सीमाएँ होती हैं। यह ईश्वर के अस्तित्व में नहीं होने की पुष्टि नहीं कर सकता है
।