2011-07-21 18:36:30

धर्माध्यक्ष सीजर मात्सोलारी की अंत्येष्टि धर्मविधि सम्पन्न


रूमबेक सुडान 21 जुलाई (वीआर वर्ल्ड, ज़ेनित) सूडान और दक्षिणी सूडान के कलीसियाई अधिकारी गुरूवार को दक्षिणी सूडान के रूमबेक धर्मप्रांत में धर्माध्यक्ष सीजर मात्सोलारी की अंत्येष्टि के लिए जमा हुए जिनका शनिवार को निधन हो गया था। धर्माध्यक्ष सीजर ने अपने स्वप्न को साकार होते देखा। उनका निधन दक्षिणी सूडान के एक स्वतंत्र देश बनने के एक सप्ताह बाद ही हो गया। वे सन 1990 से रूमबेक धर्मप्रांत के कलीसियाई नेता के रूप में सेवा करते रहे पहले प्रेरितिक प्रशासक और फिर 1999 से धर्माध्यक्ष के रुप में। सूडान में दीर्घ काल तक हुए संघर्ष के दौरान वे लोगों से शांति और मेलमिलाप के लिए आग्रह करते रहे थे। धर्माध्यक्ष मात्सोलारी का निधन होने का समाचार प्राप्त होने पर संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने शोक संवेदना भेजते हुए अफ्रीका के लोगों की निस्वार्थ सेवा करने के लिए धर्माध्यक्ष की सराहना की थी।
धर्माध्यक्ष माज्जालारी सन 1962 में कैलिफोर्निया के सान दियेगो में पुरोहित अभिषिक्त किये गये थे। उन्होंने 44 वर्ष की आयु में दक्षिणी सूडान के तुमबुरा यामबियो धर्मप्रांत भेजे जाने से पूर्व 19 वर्षों तक काले और हिस्पैनिक किशोरों के मध्य सेवा काम किया था। वे 6 वर्षों तक दक्षिणी सूडान में कम्बोनी प्रोविंशियल के रूप में अपनी सेवा दी। सन 1990 में वे युद्ध पीडित रूमबेक धर्मप्रांत के प्रेरितिक प्रशासक बनाये गये। धर्मप्रांत द्वारा जारी वक्तव्य में कहा गया कि उन्होंने उत्साहपूर्वक मिशन स्टेशनों को पुनः खुलवाया, मानवतावादी सहायता के लिए समझौते किये तथा युवा दासों की स्वतंत्रता के लिए काम किया। वे सन 1999 में रूमबेक के धर्माध्यक्ष बनाये गये। संत पापा जोन पौल द्वितीय द्वारा सौंपे गये काम और वचन को उन्होंने दिल से स्वीकार किया कि लोगों को आजाद करायें जो अन्यायपूर्ण युद्ध की त्रासदी के कारण बहुत लम्बे समय तक बहुत अधिक पीडित रहे हैं। मानवाधिकारों की मर्यादा की पुर्नस्थापना करने में लोगों की सहायता करें। रूमबेक के धर्माध्यक्ष के रूप में बिताये गये उनके वर्ष अतिविशिष्ट और चुनौतीपूर्ण मिशन के प्रति स्व़ धर्माध्यक्ष माज्जालारी की निष्ठा को प्रतिबिम्बित करते हैं।
तामबुरा यामबियो धर्मप्रांत के पड़ोसी धर्मप्रांत के धर्माध्यक्ष एडुआर्डो हिबोरू कुशाला, जो यामबियो में सन 1980 में फादर माज्जोलारी के विद्यार्थी रहे थे, ने कहा कि धर्माध्यक्ष मात्सोलारी ने हमेशा हमारा साथ दिया। वे मर्यादापूर्ण, शालीन और विनम्र व्यक्तित्व वाले बहुत प्रिय व्यक्ति थे। स्वतंत्र गणतंत्र दक्षिणी सूडान के निर्माण के लिए उनका बहुत योगदान रहा।








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