गिरजाघरों में ईश्वरीय उपस्थिति का अनुभव करें - पोप
कास्तेल गंदोल्फो, इटली, 18 जुलाई, 2011(ज़ेनित) संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने कहा
कि आलीशीन महागिरजागर और आकर्षक बसीलिकायें दुनिया सृष्टिकर्त्ता की उपस्थिति का " प्रभावपूर्ण
चिह्न " है, जो लोगों को इस बात के लिये आमंत्रित करते हैं कि वे उन आदर्शों का अनुभव
करें जो इसके निर्माताओं की प्रेरणा रही है।
संत पापा ने उक्त बातें उस समय कहीं
जब उन्होंने रविवार 17 जुलाई को अपने ग्रीष्मकालीन आवास कारस्तेल गंदोल्फो में अपराह्न
के देवदूत प्रार्थना के बाद फ्रांसीसी भाषा-भाषियों को संबोधित किया।
संत पापा
फांस के तीर्थयात्रियों से अवकाश के संबंध में बातें कर रहे थे। उनका कहना है कि अवकाश
का समय " सांस्कृतिक और आध्यात्मिक " रूप से अपने को सम्पन्न बनाने का वक्त है।
पोप
ने कहा कि " जब हम विभिन्न स्थानों और स्मारकों के दर्शन करते हैं तब हम उस सार्वभौमिक
पितृत्व की जड़ को खोज पाते हैं।"
संत पापा ने कहा लोगों को आमंत्रित करते हुए
कहा कि " ध्यान रहे कि आप उन प्रेरणादायक सुन्दर आदर्शों को देखकर उसमें खो न हो जायें
जिन्होंने इनके निर्माताओं को स्मारक बनाने की प्रेरणायें दी पर पर इनसे ईश्वर की उपस्थिति
का अनुभव करें।" संत पापा ने ईश्वर से प्रार्थना की कि " पवित्र आत्मा लोगों प्रेरित
करे ताकि वे इन पवित्र स्थानों में प्रार्थना करें, ईश्वर को धन्यवाद दें और इस तीसरी
सहस्त्राब्दि के तमाम लोगों के लिये ईश्वरीय कृपा की याचना करें।"