हैदराबाद, 12 जुलाई सन् 2011 (एशिया न्यूज़): आन्ध्र प्रदेश के नालागोण्डा ज़िले स्थित
मुनुगोडू गाँव में पेन्टेकॉस्टल चर्च के ख्रीस्तीय पादरी जी. एन. पौल पर हिन्दु चरमपंथियों
ने हमला कर उन्हें गम्भीर रूप से घायल कर दिया। देर से प्राप्त समाचारों में बताया
गया कि तीन जुलाई को जब पादरी जी. एन. पौल रविवारीय प्रार्थना सभा सम्पन्न कर अपने घर
लौट रहे थे तब चार हिन्दु चरमपंथियों ने उन्हें घेर लिया तथा उनपर धर्मान्तरण का झूठा
आरोप लगाकर, छुरे और चाकू से उनपर वार किया।
ग्लोबल काऊन्सल ऑफ इन्डियन क्रिस्टियल
जी.सी.आय.सी ने इस हमले की कड़ी निन्दा की है। काऊन्सल के अध्यक्ष साजन के. जॉर्ज ने
कहा, "यह वास्तव में शर्मनाक है कि भारत जैसे देश में, जहाँ संवैधानिक तौर पर प्रत्येक
व्यक्ति को धर्मपालन एवं धर्मप्रचार के अधिकार की गारंटी है, वहाँ अल्पसंख्यकों को धर्म
पालन की स्वतंत्रता नहीं है।"
बताया जाता है कि पादरी जे.एन. पौल को पेट तथा सिर
में गम्भीर चोटें आई हैँ किन्तु अब वे ख़तरे से बाहर हैं। इससे पूर्व तीन बार कुछेक हिन्दुओं
ने पादरी को धर्मप्रचार सम्बन्धी सभी गतिविधियों को समाप्त करने की धमकियाँ भी दी थी।
मुनुगोडू की पुलिस ने मामला दर्ज़ कर लिया है किन्तु इस सिलसिले में किसी को गिरफ्तार
नहीं किया है।
साजन के.जॉर्ज के अनुसार कि कुछ हद तक सरकार भी ख्रीस्तीयों के
विरुद्ध हिंसा में लिप्त है। उन्होंने कहा कि सरकार कानून लागू करने तथा ख्रीस्तीयों
को न्याय दिलाने में असमर्थ है जिससे चरमपंथियों को हिंसा के लिये प्रोत्साहन मिलता है।
उड़ीसा के कन्धामाल का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि सन् 2008 के नरसंहार
के बाद अभी भी 50,000 विस्थापित ख्रीस्तीय न्याय की प्रतीक्षा में हैं। इसी प्रकार उन्होंने
कर्नाटक का उदाहरण दिया जहाँ न्यायमूर्ति सोमशेखरा की रिपोर्ट ने, सब प्रमाणों बावजूद,
संघ परिवार एवं भाजपा को दोषमुक्त करार दिया है।