देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा द्वारा दिया गया संदेश
श्रोताओ, संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रविवार 10 जुलाई को कास्तेल गांदोल्फो स्थित प्रेरितिक
प्रासाद के भीतरी प्रांगण में इस ग्रीष्मकाल में पहली बार देश विदेश से आये हजारों तीर्थयात्रियों
और पर्यटकों के साथ देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया। उन्होंने रविवारीय परम्परा के
अनुसार देवदूत संदेश प्रार्थना के पाठ से पूर्व इताली भाषा में सम्बोधित करते हुए कहाः
अतिप्रिय भाईयो और बहनो,
मैं कास्तेल गांदोल्फो में देवदूत संदेश प्रार्थना
के लिए आने के लिए आप सबको धन्यवाद देता हूँ जहाँ मैं कुछ दिन पूर्व आया हूँ। मैं सहर्ष
इस अवसर का स्वागत करता हूँ जब मैं इस प्रिय शहर के निवासियों और कास्तेल गांदोल्फो के
धर्माध्यक्ष का हार्दिक अभिवादन करते हुए सबको अच्छे ग्रीष्मकाल की शुभकामनाएँ देता हूँ। इस
रविवार के सुसमाचार पाठ में येसु (संत मत्ती 13, 1-23) भीड़ को बोनेवाले का दृष्टान्त
बताते हैं। यह वह पाठ है जो कुछ अर्थ में आत्मकथा के रूप में है क्योंकि यह येसु के स्वयं
के अनुभवों, उनकी शिक्षा को प्रतिबिम्बित करता है। वे स्वयं को बीज बोनेवाले के समान
देखते हैं जो ईश्वर के वचन को, अच्छे बीज को बोता है और इसके बाद कहे गये शब्दों को ग्रहण
करने के प्रकारों के अनुरूप होनेवाले विभिन्न प्रभावों को देखता है। वहाँ ऐसे लोग हैं
जो सतही तौर पर सुनते हैं लेकिन इसे स्वीकार नहीं करते हैं, वैसे लोग भी हैं जो तत्क्षण
इसे ग्रहण करते हैं लेकिन उनमें निरंतरता का अभाव है और अंत में वे सबकुछ खो देते हैं।
वैसे लोग भी हैं जो दुनियावी आकर्षण और चिंता से दबे हुए हैं। कुछ लोग हैं जो ग्रहण करने
के मनोभाव में, अच्छी भूमि की तरह सुनते हैं, यहाँ वचन प्रचुर मात्रा में फल उत्पन्न
करता है।
सुसमाचार पाठ येसु के प्रवचन देने की पद्धति पर भी बल देता है अर्थात
दृष्टान्तों के उपयोग करने पर, शिष्य पूछते हैं कि वे क्यों लोगों को दृष्टान्तों के
द्वारा कहते हैं और येसु उत्तर देते हैं शिष्यों और साधारण जनता के मध्य विशिष्ट भेद
करते हुए। शिष्यों के लिए अर्थात् जिन लोगों ने पहले ही उनके लिए निर्णय कर लिया है वे
स्वर्ग के राज्य के बारे में खुले रूप से कह सकते हैं लेकिन अन्यों के लिए उन्हें दृष्टान्तों
के द्वारा ही कहना होगा, लोगों को निर्णय करने हेतु जगाने के लिए, दिल के परिवर्तन के
लिए। दृष्टान्त, वस्तुतः, अपनी प्रकृति से ही इसकी व्याख्या के लिए मेहनत करने की जरूरत
है, यह तर्क के साथ ही व्यक्ति की स्वतंत्रता को भी शामिल करता है।
संत जोन क्रिसोस्तम
व्याख्या करते हैं- येसु ने इन शब्दों को इस आशय से उदघोषित किया ताकि श्रोता उनके समीप
आयें और वे उन्हें बुलाते हैं, आश्वासन देते हैं कि यदि लोग उनकी ओर आयें तो वे उन्हें
चँगा करेंगे। अंततः ईश्वर का सच्चा दृष्टान्त स्वयं येसु हैं, उनका व्यक्तित्व मानवता
के चिह्न के द्वारा जो एक ही समय में उनकी दिव्यता को छिपाता और व्यक्त करता है। इस तरह
ईश्वर दबाव नहीं देते है कि हम उन पर विश्वास करें लेकिन वे अपने देहधारी पुत्र के सत्य
और भलाई द्वारा हमें अपनी ओर खींचते हैं, प्यार, वास्तव में, हमेशा स्वतंत्रता का सम्मान
करता है।
प्रिय मित्रो, कल हम मठवासी और यूरोप के संरक्षक संत, संत बेनेडिक्ट
का पर्व मनाते हैं। इस सुसमाचार के प्रकाश में हम उनको ईशवचन सुननेवाले, गहन ध्यान और
सतत रूप से सुननेवाले शिक्षक के रूप में देखते हैं। पाश्चात्य मठवाद के महान शिक्षक से
हमें हमेशा सीखनी चाहिए कि हम ईश्वर को वह स्थान दें जो उनका है, पहला स्थान दें। सुबह
और संध्या की प्रार्थना, हमारी दैनिक गतिविधियों को उन्हें अर्पित करें। कुँवारी माता
मरिया अपने उदाहरण द्वारा हमें अच्छी भूमि बनने के लिए सहायता करें जहाँ ईशवचन फल उत्पन्न
कर सके।
इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया और
सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।