मध्यप्रदेश में अल्पसंख्यक विद्यालयों को प्रताडित करने का मामला अदालत में
भारत के मध्य प्रदेश राज्य की उच्च न्यायालय ने एक याचिका स्वीकार कर ली है जिसमें यह
आरोप लगाया गया है कि अल्पसंख्यकों द्वारा संचालित शिक्षण संस्थानों को प्रताड़ित करने
के लिए राज्य सरकार द्वारा कानून का दुरूपयोग किया जा रहा है। कलीसिया का प्रतिनिधित्व
कर रहे वकील जेम्स अंतोनी के अनुसार अदालत द्वारा इस मामले पर एक माह के अंदर सुनवाई
की जाएगी। मध्यप्रदेश में कलीसिया के प्रवक्ता फादर आनन्द मुत्तुंगल द्वारा दायर याचिका
में सरकार के उस आदेश को चुनौती दी गयी है जिसमें अल्पसंख्यक स्कूलों में सूचना का अधिकार
कानून को लागू करने को कहा गया है। फादर मुत्तंगल ने कहा कि उक्त आदेश के बाद सरकारी
अधिकारी अल्पसंख्यक विद्यालयों के संचालन में हस्तक्षेप कर रहे हैं और इस तरह से उनके
अधिकारों को महत्व नहीं दे रहे हैं। अडमिशन संबंधी अवैध आदेश जारी किये और दैनिक प्रशासन
के कार्य़ों में दखल दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह स्थिति न केवल संविधान द्वारा दिये
गये अल्पसंख्यक संस्थानों के अधिकारों का हनन कर रहा है लेकिन शिक्षा के स्तर को भी प्रभावित
कर रहा है। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय सरकार ने अल्पसंख्यकों के लिए संविधान द्वारा दिये
गये अधिकारों को सुरक्षित रखते हुए नया कानून बनाया है लेकिन राज्य सरकार के अधिकारी
इसे स्वीकार करने से इंकार कर रहे हैं और इस कानून का प्रयोग करते हुए अल्पसंख्यकों द्वारा
संचालित शिक्षण संस्थानों को प्रताड़ित कर रहे हैं। फादर मुत्तुंगल ने कहा कि राज्य
सरकार यहाँ तक कि राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह तक इस मामले को लाया गया लेकिन कोई
लाभ नहीं हुआ और कलीसिया अदालत में याचिका दायर करने के लिए विवश हुई।