पूर्वी अफ्रीका में नये काथलिक विश्वविद्यालयों की जरूरत पर विचार विमर्श
(नैरोबी केन्या 7 जुलाई जेनिथ) Catholic Information Service of Africa ने पहली जुलाई
को दिये गये एक रिपोर्ट में कहा कि एसोसियेशन ओफ मेम्बर एपिसकोपल कांफ्रेंसस इन इस्टर्न
अफ्रीका की 17 वीं पूर्णकालिक सभा के दौरान पूर्वी अफ्रीका के धर्माध्यक्षों ने विचार
विमर्श के समय सुना कि अफ्रीका को और अधिक काथलिक विश्वविद्यालयों की जरूरत है लेकिन
कुछ लोगों ने गुणवत्ता प्रबंधन के बिना विश्वविद्यालयों की संख्या बढ़ाने के बारे में
चिंता जाहिर की। एसोसियेशन ओफ मेम्बर एपिसकोपल कांफ्रेंसस इन इस्टर्न अफ्रीका संघ में
आठ धर्माध्यक्षीय सम्मेलन शामिल हैं- एरिट्रिया, इथोपिया, केन्या, मलावी, सुडान, तंजानिया,
उगांडा और जाम्बिया। दो एसोसियेट सदस्य हैं- सिशेल्स और सोमालिया.
तंजानिया में
संत अगुस्टीन काथलिक विश्वविद्यालय के फादर चार्ल्स कितीमा ने कार्डिनलों और पुरोहितों
का आह्वान किया कि वे उच्च शिक्षा पाने के लिए कलीसिया द्वारा संचालित संस्थानों की संख्या
बढायें। इस एसोसियेशन की स्थापना 1961 में इस उद्देश्य से की गयी थी ताकि विश्वविद्यालय
शिक्षण के क्षेत्र में विस्तार हो। इस एसोसियेशन की स्थापना के 50 वर्षों बाद आज इस
क्षेत्र में 7 राष्ट्रीय काथलिक विश्वविद्यालय हैं। फादर कितिमा ने अपने पर्यवेक्षण में
कहा कि अमरीका में सिर्फ येसुसमाजियों के ही 28 विश्वविद्यालय हैं यहाँ तंजानिया में
हम 2020 तक 17 विश्वविद्यालयों की योजना बना रहे हैं। काथलिक यूनिवर्सिटी ओफ इस्टर्न
अफ्रीका के वाइस चांसलर फादर जोन माविरी ने उच्च शिक्षा की गुणवत्ता बनाये रखने के लिए
उचित संरचना बनाने का आह्वान किया। उन्होंने कलीसिया क्षेत्र में काथलिक विश्वविद्यालयों
में उच्च शिक्षा की निगरानी करने के लिए एक समिति की स्थापना करने का सुझाव दिया। उन्होंने
कहा कि विश्वविद्यालयों की संख्या में बढ़ोत्तरी क्षेत्र में शिक्षा की गुणवत्ता के लिए
समस्याएं उत्पन्न कर रहा है। वर्तमान पाठयक्रम का बहुत अंश केवल परीक्षा के लिए है, विद्यार्थी
पढ़ने के लिए आते हैं ताकि उन्हें रोजगार मिल सके। दोनों पक्षों ने विश्वविद्यालयों के
महत्व को स्वीकार किया है कि यह ऐसा मंच है जहाँ से मेलमिलाप, न्याय और शांति का प्रसार
कर जातीय विभाजनों को दूर करने के लिए संघर्ष किया जा सकता है। जाम्बिया में लुसाका के
सेवानिवृत्त महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल मेदारदो माजोम्बवे ने कहा कि उनके सुसमाचार प्रसार
काम में उच्च शिक्षा पहली प्राथमिकता है। वे महसूस करते हैं कि जिन लोगों के लिए वे प्रवचन
करते हैं उनका विकास हुआ है और अब लोगों की नयी आवश्यकताएँ हैं। उन्हें सशक्त बनाना है।