2011-07-04 18:05:52

देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा द्वारा दिया गया संदेश


श्रोताओ संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रविवार 3 जुलाई को संत पेत्रुस बासिलिका के प्रांगण में देश विदेश से आये हजारों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व इताली भाषा में सम्बोधित करते हुए कहाः

अतिप्रिय भाईयो और बहनो,

येसु आज के सुसमाचार पाठ में हमारे लिए उन शब्दों को कहते हैं जिसे हम बहुत अच्छी तरह जानते हैं लेकिन ये हमें हमेशा प्रभावित करते हैं- थके माँदे और बोझ से दबे हुए लोगों तुम सभी मेरे पास आओ मैं तुम्हें विश्राम दूँगा। मेरा जूआ अपने पर ले लो और मुझसे सीखो मैं स्वभाव से नम्र और विनीत हूँ। इस तरह तुम अपनी आत्मा के लिए शान्ति पाओगे क्योंकि मेरा जूआ सहज है और मेरा बोझ हल्का।

जब येसु गलीलिया की सड़कों में ईश्वर के राज्य की उदघोषणा करते हुए बीमारों को चंगा कर रहे थे लोगों को देखकर उन्हें उन पर तरस आया क्योंकि वे बिना चरवाहे की भेड़ों की तरह थके माँदे पड़े हुए थे।

येसु की वह दृष्टि ऐसा प्रतीत होता है कि आज भी हमारी दुनिया पर है। यह आज भी असंख्य लोगों पर है जो जीवन की कठिन परिस्थितियों के कारण प्रताड़ित हैं और अपने अस्तित्व के उद्देश्य तथा अर्थ पाने के वैध संदर्भ बिन्दुओं से भी वंचित हैं। अधिकांश कमजोर लोग निर्धन देशों में पाये जाते हैं जहाँ उन्हें गरीबा का सामना करना होता है और यहाँ तक कि धनी देशों में भी असंख्य असंतुष्ट स्त्री और पुरूष हैं वस्तुतः अवसाद से पीड़ित हैं। हम उन असंख्य विस्थापित लोगों और शरणार्थियों तथा उन सबलोगों का स्मरण करते हैं जो अपने जीवन को खतरे में डालते हुए प्रवसन करते हैं। ख्रीस्त की दृष्टि इन सबलोगों पर ठहरती है, उनकी दृष्टि स्वर्ग में विद्यमान पिता की इन हर संतान पर दृष्टि पड़ती है और कहते हैं- तुम सब लोग मेरे पास आओ।

येसु सबको विश्राम देने की प्रतिज्ञा करते हैं लेकिन वे एक शर्त्त रखते हैं- मेरा जूआ अपने ऊपर ले लो और मुझसे सीखो मैं स्वभाव से नम्र और विनीत हूँ। यह जूआ क्या है- जो भारी लगने के बदले में हल्का है और बोझ से दबाने के बदले में ऊपर उठाता है। ख्रीस्त का बोझ और प्रेम का विधान यह उनका आदेश है जिसे उन्होंने अपने शिष्यों के लिए छोड़ा- मानवता के घावों के लिए सही इलाज--- वे चाहे भौतिक हों जैसे भूख और अन्याय, अथवा मनोवैज्ञानिक और नैतिक, भले होने की झूठी भावना द्वारा उत्पन्न- यह जीवन का नियम है जो भ्रातृत्वमय प्रेम पर निर्भर है जिसका अपना स्रोत ईश्वर के प्रेम में है। इसलिए यह जरूरी है कि आक्रामकता और हिंसा का पथ त्यागें जिसका उपयोग और अधिक ताकतवाले पद को पाने के लिए किया जाता है ताकि हर कीमत पर सफलता हासिल हो सके। पर्यावरण के प्रति सम्मान हो इसके लिए आक्रामक जीवनशैली का परित्याग करना जरूरी है जो विगत सदियों में व्यापक रूप से प्रभावी हो गयी है और हम वाजिब विनम्रता को अपनायें। लेकिन सबसे ऊपर मानव में, अंतर व्यक्तिक तथा सामाजिक संबंधों में, सम्मान करने और अहिंसा का नियम जो कि किसी भी दुरूपयोग के विरूद्ध सत्य की ताकत है इसे मानव के भावी महत्व के लिए सुनिश्चित करें।

प्रिय मित्रो, कल हमने विशिष्ट रूप से पूजनधर्मविधि में पवित्रतम माता मरिया के निष्कलंक ह्दय का स्मरण किया। कुँवारी माता मरिया हमारी सहायता करें ताकि येसु की सच्ची विनम्रता से हम सीख सकें, पूर्ण दृढ़ निश्चय के साथ उनका हल्का जूआ अपने कंधों पर ले सकें, आंतरिक शांति अनुभव कर सकें और वास्तव में इस तरह अपने भाई बहनों को सांत्वना देने में समर्थ हो सकेंगे जो जीवन पथ पर आगे बढ़ते हुए कठिन मेहनत करते हैं।

इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।








All the contents on this site are copyrighted ©.