(वाटिकन सिटी 25 जून सेदोक) वाटिकन प्रवक्ता फादर फेदेरिको लोम्बार्दी ने अपने साप्ताहिक
सम्पादकीय ओकतावा दियेस में कहा कि यूखरिस्त और भूमंडलीकरण संत पापा के चिंतन का शीर्षक
था जिसे उन्होंने येसु ख्रीस्त के देह और रक्त के पर्व दिवस पर गुरूवार को प्रस्तुत किया।
उन्होंने यूखरिस्त का वर्णन ऐसी गतिकता के रूप में किया जो वास्तविकता का इसके ब्राह्मांडीय,
मानवीय और ऐतिहासिक आयामों में पूर्ण परिवर्तन कर देती है। यह प्रेम की गतिकता है जो
ईश्वर के त्रित्वमय जीवन से आरम्भ होती है और ख्रीस्त के हृदय द्वारा हम तक पहुँचती
है। यह इतनी प्रबल है कि विभाजनों को दूर करती, ईश्वरीय जीवन के साथ सामुदायिकता के लिए
आकर्षित करती तथा हमें आत्म केन्द्रित होने से मुक्त करती है। यूखरिस्त ठोस तरीका है
जिसके द्वारा यह प्रेम कलीसिया और संसार में फैलता है। यह वह स्रोत है जो कलीसिया की
सामाजिक उपस्थिति को निरंतर ईंधन प्रदान करती तथा विशेष रूप से आज भूमंडलीकरण के युग
में न्यायी और भ्रातृत्वपूर्ण समाज की रचना करने के लिए ईसाईयों की जिम्मेदारपूर्ण समर्पण
को ऊर्जा प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि मानवजाति के मध्य वैश्वीकरण
बढ़ रहा है, हम सच्चा प्रेम प्रदर्शित करें ताकि यह निजीवाद और अन्याय के उथल पुथल में
खो नहीं जाये। मानवीय, ऐतिहासिक और ब्रह्मांडीय आयाम वस्तुतः विश्वास के साथ मिल जाते
हैं। यूखरिस्तीय सामुदायिकता से सबको लाभ मिलता है, यह संसार के हित की सेवा करती तथा
अंत में सबको मुक्ति और अर्थ पाने की अनुमति प्रदान करती है।