(रोम सीएनएस 24 जून ) काथलिक कलीसिया ने 23 जून को येसु के पवित्र शरीर और रक्त का महोत्सव
मनाया। संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रोम स्थित संत जोन लातेरन बासिलिका में आयोजित समारोही
ख्रीस्तयाग की अध्यक्षता की। उन्होंने अपने प्रवचन में कहा कि रोटी और दाखरस का येसु
के शरीर और रक्त में पूर्ण परिवर्तन होना ठीक उसी तरह है जब लोग पूर्ण परिवर्तन की प्रक्रिया
से गुजरते हैं जब वे स्वयं को पूरी तरह से ईश्वर के प्रेम के लिए सौंप देते हैं। ईसाई
यूखरिस्त समारोह में भाग लेकर ख्रीस्त के समान बन जाते हैं। संत पापा ने कहा कि पवित्र
यूखरिस्त समारोह की पूर्णपरिवर्तन करनेवाली शक्ति रोटी को अनन्त जीवन का भोजन बना देती
है। येसु ने अंतिम ब्यालू के समय मृत्यु के अर्थ को बदल दिया। रोटी और दाखरस का ख्रीस्त
के शरीर और रक्त में बदलना उस उपहार का फल है जिसे ख्रीस्त ने स्वयं को बना दिया, प्रेम
उपहार, जो मृत्यु से अधिक शक्तिशाली है। इसका उद्देश्य जीवन का पूर्ण परिवर्तन करना तथा
इसके द्वारा विश्व को बदलना है। संत पापा ने कहा कि पावन यूखरिस्त संस्कार चर्च में
अंतर्निहित सामाजिक समर्पण को रेखांकित करता है क्योंकि जो भी व्यक्ति परमप्रसाद में
ख्रीस्त को पहचानता है वह अपने भाई बहनों में भी देखता है जो पीडित है, भूखे हैं प्यासे
हैं, अकेले हैं, नंगे या बीमार हैं या कैदी हैं। उन्होंने कहा कि दूसरों को पहचान या
मान्यता देना तथा उनकी सहायता करने का समर्पण आज के विश्व में पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण
है जहाँ भूमंडलीकरण के कारण हर एक जन दूसरे व्यक्ति पर पहले से अधिक निर्भर है। संत
पापा ने ख्रीस्तयाग समारोह के संत जोन लातेरन बासिलिका से लेकर लगभग एक मील की दूरी पर
स्थित संत मारिया मज्जोरे बासिलिका तक सम्पन्न शोभायात्रा का नेतृत्व किया।