सान मारीनोः सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने सान मारीनो का दौरा किया
सान मारीनो, 20 जून सन् 2011 (सेदोक): सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रविवार, 19 जून
को, इटली की सीमा से लगे विश्व के सबसे प्राचीन गणतंत्र सान मारीनो की प्रेरितिक यात्रा
की।
इस अवसर पर सन्त पापा ने वैश्विक आर्थिक मन्दी तथा इसके कारण युवाओं पर पड़
रहे दुष्प्रभावों के प्रति चिन्ता जताई तथा राजनीतिज्ञों का आह्वान किया कि युवाओं को
रोज़गार आदि के अवसर प्रदान करने के लिये वे उपयुक्त नीतियों का निर्माण करें।
सन्त
पापा जॉन पौल द्वितीय द्वारा सान मारीनो की यात्रा के 29 वर्षों बाद इस छोटे से देश की
यात्रा करनेवाले सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने कहा कि आर्थिक संकट असंख्य परिवारों को
प्रभावित कर रहा है जिसपर तुरन्त ध्यान देने की अत्यावश्यकता है। उन्होंने कहा कि युवाओं
को शिक्षित करने में आनेवाली कठिनाईयों तथा शिक्षा के उपरान्त अस्थायी नौकरियाँ और बेरोज़गारी
जैसी समस्याओं के समाधान हेतु ठोस नीतियों के निर्माण की नितान्त आवश्यकता है।
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वर्ग किलोमीटर के भूक्षेत्र में विस्तृत सान मारीनो वाटिकन तथा मोनाको के बाद यूरोप का
सबसे छोटा देश है। सन् 1600 में सान मारीनो एक देश के रूप में स्थापित हुआ था। आज इसकी
कुल आबादी तीस हज़ार है जिनमें एक हज़ार विदेशी हैं।
सान मारीनो के किले के
नीचले भाग में सेर्राविले के स्टेडियम में सन्त पापा ने रविवार को ख्रीस्तयाग अर्पित
किया जिसमें 22, 000 श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
सन्त पापा की सान मारीनो यात्रा
पर टीका करते हुए देश के काथलिक धर्माध्यक्ष लूईजी नेगरी ने वाटिकन रेडियो से कहा कि
बेनेडिक्ट 16 वें ने "सुखवाद एवं सत्ता के लालच" के विरुद्ध स्पष्ट चेतावनी दी है।
ग़ौरतलब है कि सान मारीनो की वित्त व्यवस्था सन् 2009 के बाद से बिगड़ी है। इसी
वर्ष इटली ने एक आज्ञप्ति जारी कर उन लोगों के लिये कर-मुक्ति की घोषणा की थी जिन्होंने
काले धन को सान मारीनो, स्विटज़रलैण्ड और लक्समबुर्ग जैसे देशों में जमा कर रखा था। विश्व
आर्थिक सहयोग और विकास सम्बन्धी संगठन (ओईसीडी) ने यद्यपि सान मारीनो को काली सूची से
हटा दिया था तथापि इटली, सान मारीनो को, कर-मुक्ति के लिये काला धन छिपाने की जगह मानता
रहा है। इटली की कर- मुक्ति घोषणा के बाद से सान मारीनो के बैंकों में जमा लगभग 14 अरब
यूरो में से चार अरब यूरो सान मारीनो से बाहर जा चुके हैं।