2011-06-16 16:26:31

न्याय और शांति बिना विकास नहीं


(नई दिल्ली काथलिक न्यूज 16 जून ) नई दिल्ली में 11 जून को आयोजित एक बैठक में ईसाई नेताओं ने इस तथ्य पर सहमति व्यक्त की है कि शांति और न्याय रहित विकास का कोई अर्थ नहीं है। 12 वीं पंचवर्षीय योजना, साम्प्रदायिक हिंसा विधेयक और गरीबी रेखा से नीचे जाति धर्म सर्वे पर सम्पन्न राष्ट्रीय परामर्श में ईसाई नेताओं ने कहा कि केन्द्रीय सरकार यह सुनिश्चित करे कि न्याय सहित शांति हो। नेशनल इंटीग्रेशन कौंसिल के सदस्य जोन दयाल ने कहा कि तबतक विकास संभव नहीं है जबतक सरकार भारत के ईसाईयों की सामाजिक, आर्थिक और विकास की स्थिति की व्यापक सर्वे नहीं करती है। ईसाईयों ने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में योगदान दिया है लेकिन उनकेखिलाफ भेदभाव किया जाता है और उनका जो हक है उसे भी नहीं दिया जाता है। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक योजनाएँ मुसलमानों के लिए हैं। उन्होंने कहा कि संविधान की धारा 25 से 30 के तहत दी गयी धार्मिक स्वतंत्रता का अभ्यास, घोषणा और प्रसार करने की आजादी ईसाईयों को मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अनेक राज्य कलीसियाई संस्थानों को प्रताड़ित करने के लिए सूचना अधिकार कानून के प्रावधानों का दुरूपयोग कर रहे हैं।
दिल्ली के महाधर्माध्यक्ष विन्सेंट कोंचेसाव ने कहा कि लगभग 60 साल से दलित ईसाईयों को अनुसूचित जाति का दर्जा दिये जाने की अपील की जा रही है। यह स्पष्ट है कि यह धर्म पर आधारित भेदभाव है। राष्ट्री अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष वजाहत हब्बीबुल्ला ने सहमति व्यक्त की है कि लाभ देने से परहेज करने के लिए धर्म परिवर्तन कोई कारण नहीं है।उन्होंने अल्पसंख्यक समुदायों पर समान अध्ययन करने के लिए सच्चर पैनल जैसी समितियों का गठन किये जाने का परामर्श दिया। येसुसमाजियों द्वारा संचालित इंडियन सोशल इंस्टीच्यूट में जनजातीय विभाग के अध्यक्ष फादर मरियानुस कुजूर ने कहा कि सन 2001 की जनगणना के अनुसार लगभग 8 करोड़ हैं। जनजातीय पद्धति के बारे में व्यापक विजन अपनाये जाने की जरूरत है।
उन्होंने आदिवासी भूमि को लौटाये जाने तथा सन 2006 के वन कानून को लागू किये जाने की इच्छा व्यक्त की। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के सचिव विवेक मेहरोत्रा ने कहा कि 12 वीं पंचवर्षीय योजना में अल्पसंख्यकों के लिए सात हजार करोड़ रूपये से अधिक राशि का प्रावधान किया जायेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के 15 सूत्रीय कार्यक्रम की समीक्षा की जाएगी तथा सुधार के लिए उपाय किये जायेंगे।








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