2011-06-11 15:34:21

जिप्सियों अथवा घुमंतु समुदायों के लिए संत पापा का संदेश


(वाटिकन सिटी 11 जून सेदोक जेनिथ) जिप्सियों अथवा घुमंतु और यायावरों की प्रेरिताई से संलग्न परमधर्मपीठीय समिति के तत्वाधान में यूरोप में रहनेवाले घुमंतु समुदायों जैसे- रोमा, सिंती, मानुषे,काले, येनिश सहित अन्य यायावर समुदायों के लगभग दो हजार तीर्थयात्रियों ने वाटिकन स्थित संत पापा पौल षष्टम सभागार में 11 जून को संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें का साक्षात्कार कर उनका संदेश सुना। उन्होंने जिप्सी तीर्थयात्रियों को सम्बोधित कर जिप्सी समुदायों के प्रति कलीसिया की समीपता व्यक्त करते हुए कहा कि वे कलीसिया के केन्द्र और हृदय में हैं। संत पापा ने उनकी परिस्थितियों की विषमता पर प्रकाश डाला कि यायावर जीवन शैली के कारण स्थायी समाज के साथ बहुत बार उन्हें कठिनाईयों का सामना करना होता है लेकिन आज परिस्थिति में बहुत सुधार आया है। वे भी समाज द्वारा उपलब्ध कराये जा रहे अवसरों का लाभ उठायें। अनेक जिप्सी समुदाय अब स्थायी जीवन परिवेश भी अपना रहे हैं।

संत पापा ने कहा कि कलीसिया उनके साथ है तथा ख्रीस्त की शक्ति से सुसमाचार का साक्ष्य देने के लिए उन्हें प्रोत्साहन देती है। जिप्सियों की संतानों की भी प्रतिष्ठा और अधिकार है। संत पापा ने धन्य जेफेरिनो हिमीनेज माल्ला का स्मरण करते हुए प्रवासी और यायावर समुदायों को अपनी प्रार्थनाओं में याद करने का आश्वासन देते हुए उनके लिए बेहतर जीवन की शुभकामनाएँ दीं। जिप्सी समुदायों के चार प्रतिनिधियों ने अपनी जीवन यात्रा और जीवन अनुभवों का साक्ष्य प्रस्तुत किया।

यायावरों और प्रवासियों की मेषपालीय संबंधी परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष महाधर्माध्यक्ष अंतोनियो मारिया वेलिया ने जिप्सी तीर्थयात्रियों का स्वागत कर उन्हें आश्वासन दिया कि कलीसिया में वे अपने जीवन के लिए सहायता पा सकते हैं जो बहुधा अविश्वास और भेदभाव का शिकार होते हैं। उन्होंने कहा कि समाज में समावेशीकरण दो तरफा प्रक्रिया है तथा इसकी कुँजी, शिक्षा और सामाजिक तथा राजनैतिक जीवन में सहभागिता है। समाज और जिप्सी समुदाय दोनों संवाद और परस्पर समृद्धि के पथ पर चलने के लिए इच्छुक हों क्योंकि यही दोनों पक्षों की सकारात्मक पहलूओं का मूल्यांकन कर एक दूसरे को स्वीकार करने की अनुमित प्रदान करता है। जिप्सियों के बारे में समाज द्वारा सकारात्मक विचार और छवि रखना, उनकी सांस्कृतिक पहचान और मूल्य, परिवार की भावना, बुजुर्गों के प्रति सम्मान ,संगीत के प्रति प्रेम, नाचगान के प्रति समाज की जागरूकता को बढाना जरूरी है तथा जिप्सियों की ओर से भी बडी मात्रा में भरोसा, समर्पण और सहभागिता जैसे मूल्यों का होना जरूरी है।

यूरोप महाद्वीप में रह रहे घुमंतु समुदायों के लगभग दो हजार लोग रोम तीर्थयात्रा पर आये हैं ताकि रविवार 12 जून को पेंतेकोस्त पर्व मना सकें और स्पानी मूल के पहले जिप्सी धन्य जेफेरिनो हिमीनेज माल्ला के जन्म की 150 वीं वर्षगाँठ मना सकें जो 1936 में शहीद हो गये थे।








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