2011-06-10 18:08:42

परमधर्मपीठीय राजदूत या कूटनीतिज्ञ ईशवचन और पोप की सेवा में


(वाटिकन सिटी 10 जून वीआर अंग्रेजीक, सेदोक) संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने वाटिकन स्थित कनसिस्टरी सभागार में परमधर्मपीठीय कलीसियाई अकादमी के लगभग 40 स्टाफ और विद्यार्थियों को शुक्रवार 10 जून को सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि परमधर्मपीठ के राजदूतों या कूटनैतिक की भूमिका अपरिहार्य़ रूप से ईशवचन तथा संत पेत्रुस के उत्तराधिकारी की सेवा करने में है जो लोगों के मध्य सामुदायिकता का निर्माण करती तथा शांतिमय और समर्थन देनेवाले संबंधों को मजबूत करती है। वाटिकन की परमधर्मपीठीय कलीसियाई अकादमी वाटिकन के राजदूतों और कूटनीतिज्ञों, प्रेरितिक प्रतिनिधियों, स्थायी पर्यवेक्षकों तथा विश्व भर में वाटिकन के राजदूतावासों में काम करनेवालों को प्रशिक्षित करती है।

संत पापा ने कहा कि राजदूत की स्वीकृति का अर्थ है शांतिमय सहअस्तित्व की संभावनाओं के लिए नींव डालना तथा यथासंभव अन्यों के विचारों और संवेदनाओं के प्रति सम्मान प्रकट करना है। उन्होंने कहा कि ईशवचन की सेवा में कूटनीतिज्ञ के रूप में एक पुरोहित या धर्माध्यक्ष का काम जीवनपर्यंत समर्पण है जो उसे सौंपे गये सुसमाचारीय संदेश को प्रतिध्वनित करे। अपने मिशन को पूरा करते हुए वाटिकन के कूटनीतिज्ञों के लिए जरूरी है कि वे अपनी सम्पूर्ण मानवीय और विशिष्ट गुणों का उपयोग करें ताकि अपने आध्यात्मिक जीवन, मानवीय सदगुणों के अभ्यास और ठोस सांस्कृतिक प्रशिक्षण के मध्य नाजुक संतुलन बना सकें।

संत पेत्रुस के उत्तराधिकारी की सेवा जिसे ख्रीस्त ने विश्वास और सामुदायिकता के दर्शनीय एकता का आधार आधार बनाया परमधर्मपीठ के राजदूतों को यह अनुमति प्रदान करती है कि वे काथलिक कलीसिया के विश्वव्यापी गहन संदर्भ में निरंतर जीवन जीयें।








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