संत पापा ने मोल्दोवा, गिनिया इक्वाटोरियाले, बेलिजे, सीरिया, घाना और न्यूजीलैंड के
राजदूतों का प्रत्यय पत्र स्वीकार किया
(वाटिकन सिटी 9 जून सेदोक, वीआर वर्ल्ड) संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने गुरूवार 9 जून
को वाटिकन स्थित प्रेरितिक प्रासाद के क्लेमेंतीन सभागार में मोल्दोवा, गिनिया इकवाटोरियाले,
बेलिजे, सीरिया, घाना और न्यूजीलैंड के नवनियुक्त 6 देशों राजदूतों का प्रत्यय पत्र स्वीकार
किया। उन्होंने वाटिकन के लिए नवनियुक्त इन राजदूतों को अपना निजी संदेश दिया तथा फ्रेच
भाषा में सामूहिक रूप से सम्बोधित किया।
संत पापा ने कहा कि सरकारें ऊर्जा के
लिए स्वच्छ तथा पर्यावरण प्रेमी संसाधनों और स्रोतों के उपयोग को बढावा दें तथा मानव
के लिए हानिकारक खतरनाक तकनीकियों के उपयोग से बचें। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण
पर बहस राजनैतिक या आर्थिक उद्देश्यों से प्रभावित नहीं हो। इस साल के पहले भाग में विभिन्न
प्रकार की त्रासदियाँ हुई हैं जिन्होंने प्रकृति, तकनीकि और मानव को प्रभावित किया है
और इनमें सबसे अधिक मानव ही रहा है न कि तकनीकि और संकुचित हित।
संत पापा ने
कहा कि मानव, जिसे ईश्वर ने प्रकृति को सौंपा तथा उसकी देख रेख करने का दायित्व सौंपा
है इस पर तकनीकि का प्रभुत्व नहीं हो और न ही यह वस्तु समान बने। यह जागरूकता सदस्य राष्ट्रों
को पृथ्वी ग्रह के अल्पकालीन भविष्य तथा हमारे जीवन और तकनीक के प्रति उनकी जिम्मेदारियों
पर चिंतन करने की ओर अग्रसर करे। ह्यूमन इकोलोजी अर्थात मानव पारिस्थितिकी जरूरी है।
हम ऐसी जीवन शैली अपनाएँ जो पर्यावरण का सम्मान करती है तथा साफ सुथरे ऊर्जा स्रोतों
पर शोध करने को समर्थन दे, सृष्टि की विरासत के प्रति सम्मान रखे तथा मानव के प्रति हानिकारक
न हो ये सब हमारी राजनैतिक और आर्थिक प्राथमिकताएँ हों।
संत पापा ने कहा यह
जरूरी है कि प्रकृति के बारे में हमारे जो अभिगम हैं उनका हम फिर से मूल्यांकन करें क्योंकि
ऐसी जीवन शैली के बिना जो मानव और प्रकृति के मध्य संबंध का सम्मान नहीं करती है उसके
कारण मानव परिवार का अस्तित्व समाप्त हो सकता है। उन्होंने कहा कि सब सरकारें समर्पित
हों कि प्रकृति की रक्षा करें और मानवजाति के जीवन को बनाये रखने की इसकी अपरिहार्य भूमिका
को पूरा करने के लिए मदद करें। संयुक्त राष्ट्र संघ इस प्रकार के चिंतन के लिए स्वाभाविक
रूप से उपयुक्त स्थल प्रतीत होता है जो कुछेक देशों के राजनैतिक और आर्थिक हितों को पूरा
करने से बंध नहीं जाये लेकिन स्व हित से परे सह्दयता के पक्ष में काम करे।
तकनीकि
की भूमिका पर अपना ध्यान केन्द्रित करते हुए संत पापा ने कहा कि तकनीकियों की क्षमताओं
की खोज सामाजिक और पारिस्थितिक विनाश के साथ भी चलती हैं। बहुत बार हम यह भूल जाते हैं
कि विकास का लाभ इंसान के काम को मिले न कि तकनीकि को जिसकी रचना मानव ने की है। उन्होंने
कहा कि तकनीकि पर अपनी सारी आशाएँ लगा देना या यह मानना कि प्रगति या खुशी का एकमात्र
कारण यही है मानव को वस्तु समान बना देता है। संत पापा ने कहा कि प्रगति के परिणामस्वरूप
हुआ विनाश तथा शक्तिशाली अनियंत्रित तकनीकि पर पूरा भरोसा करने से मानवजाति के सामने
खतरे हैं। वह तकनीकि जिसका प्रभुत्व मानव पर है वह मानव को उसकी मानवता से वंचित करती
है। इसके द्वारा उत्पन्न अहंकार या गर्व ने हमारे समाज में हठधर्मी सुखवाद को लाया है
जो स्वार्थपूर्ण और आत्मकेन्द्रित तरीकों से हमारे व्यवहारों का निर्धारण करती है।
संत
पापा ने कहा यह नितांत जरूरी है कि वैज्ञानिक तथा शोध करनेवाले लोग तकनीकि प्रगति और
सुदृढ़ नैतिक आयामों को एकसाथ जोड़े और इस प्रकार से प्रकृति की सहायता करें ताकि वह
सृष्टिकर्त्ता की इच्छा के अनुरूप विकसित हो एवं सरकारें ऐसे मानववाद का प्रसार करें
जो मानव के आध्यात्मिक और धार्मिक आयाम का सम्मान करती है।