2011-06-08 12:18:34

नई दिल्लीः चर्च अधिकारियों ने की "भ्रष्टाचार" के राजनीतिकरण की निंदा


नई दिल्ली, 8 जून सन् 2011 (कैथन्यूज़): भारत के ख्रीस्तीय समूहों ने, योग गुरु बाबा रामदेव द्वारा, भ्रष्टाचार एवं काले धन जैसे मुद्दों के "राजनीतिकरण" की कड़ी निन्दा की है।

भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के प्रवक्ता फादर बाबू जोसफ ने कहा, "अपनी बात को रखने के लिये हमारे पास न्यायपालिका तथा संसद जैसे स्थापित संस्थान हैं।"

उन्होंने कहा कि समाज में व्याप्त किसी भी प्रकार के अन्याय के खिलाफ अपनी आवाज उठाने वाले लोगों को इन संस्थानों की मर्यादा के भीतर रहना चाहिये।

चार जून को पुलिस ने नई दिल्ली के राम लीला मैदान में बाबा रामदेव के नेतृत्व में आयोजित भ्रष्टाचार विरोधी अनशन को भंग कर दिया था तथा वहाँ जमा 100,000 से अधिक लोगों को तितर बितर करने के लिये आँसू गैस भी छोड़ी थी। इसमें कई लोग घायल हो गये थे। बाबा रामदेव को भी गिरफ्तार कर दिल्ली से बाहर भेज दिया गया था।

यह आरोप लगाकर कि बाबा रामदेव का अनशन राजनीति से प्रेरित कदम था, फादर बाबू जोसफ ने कहा, "धार्मिक नेताओं को समाज में अशांति नहीं फैलानी चाहिये क्योंकि अन्ततः इसका दुष्परिणाम सामान्य जनता को भुगतना पड़ता है।"

उन्होंने कहा, "यह घटना धर्म और राजनीति के अपवित्र मिश्रण का एक दुखद उदाहरण है।"

हालांकि, फादर जोसफ ने स्पष्ट किया कि कलीसिया, स्थिति को काबू में करने के लिये की गई, सरकार की कार्रवाई को भी उचित नहीं मानती। उन्होंने कहा, "इसे बिना किसी को चोट पहुँचाये संवेदशनशील तरीके से सम्पादित किया जाना था।"

देहली के काथलिक महाधर्माध्यक्ष विन्सेन्ट कॉनचेसाओ ने भी रामलीला मैदान में पुलिस की कारवाई की कड़ी निन्दा की है और कहा कि हिंसक तरीके से मामले को सुलझाने का प्रयास सरासर ग़लत था। घायल लोगों के प्रति उन्होंने अपनी संवेदना व्यक्त की है।

तथापि, उन्होंने यह भी कहा कि उक्त घटना में इतनी बड़ी संख्या में केसरी परिधान धारण किये लोगों को देखकर यह समझ में नहीं आ रहा था कि यह एक राष्ट्रीय आन्दोलन था अथवा राजनीति और धर्म का मिश्रित आन्दोलन।

भारत में प्रॉटेस्टेण्ट कलीसियाओं की समिति के प्रवक्ता सैमुएल जयकुमार ने भी कहा है कि उक्त आन्दोलन में साम्प्रादियक तत्व मिला हुआ था क्योंकि इसे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का समर्थन प्राप्त था। जयकुमार ने कहा, "भ्रष्टाचार और काले धन जैसे वास्तविक मुद्दों को पीछे कर दिया गया था।" उन्होंने कहा कि नागर समाज समूहों को, राजनीति से स्वतंत्र रहकर, उक्त मुद्दों को उठाना जारी रखना चाहिये।








All the contents on this site are copyrighted ©.