इस्लामाबादः पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों के विरुद्ध भेदभाव जारी, रिपोर्ट
इस्लामाबाद, 8 जून सन् 2011 (आन्सा): पाकिस्तान की एक ग़ैर-सरकारी संस्था ने देश में
अल्पसंख्यकों की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि ख्रीस्तीय, हिन्दु एवं अहमदी
मुसलमानों के विरुद्ध भेदभाव और हिंसा नित्य बढ़ती जा रही है।
"धर्म का प्रश्न"
शीर्षक से तैयार उक्त रिपोर्ट, ‘एशियन ह्यूमन राईट्स कमीशन’ के नेतृत्व में इस्लामाबाद
स्थित जिन्ना संस्थान द्वारा जारी की गई।
रिपोर्ट में पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों
की सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक स्थिति का विस्तृत ब्यौरा दिया गया है।
रिपोर्ट
को एक पत्रकार सम्मेलन में प्रस्तुत करते हुए संस्थान की अध्यक्षा शेरी रहमान ने कहा
हिंसा का प्रमुख कारण विवादास्पद ईश-निंदा कानून है। उन्होंने बताया कि ईश-निंदा कानून
में संशोधन के खिलाफ़ हुए हिंसक प्रदर्शनों से वर्ष 2010 का अंत हुआ और वर्ष 2011 की
शुरुआत पंजाब के गवर्नर सलमान तासीर और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री शहबाज़ भट्टी की
हत्या से हुई। दोनों नेताओं ने ईश-निंदा कानून में संशोधन की कोशिशें की थी।
रिपोर्ट
में सरकार पर आरोप लगाया गया है कि वह चरमपंथी धार्मिक दलों के भारी दबाव में आकर ईश-निंदा
कानून में संशोधन करने से पीछे हट गई है।
कहा गया कि अल्पसंख्यकों पर हो रहे
ताज़ा हमले सभी स्तर पर साज़िश का नतीजा हैं जिसमें न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका
शामिल हैं।
रिपोर्ट में कहा गया कि एक ओर चरमपंथी अल्पसंख्यकों को ईश-निंदा क़ानून
की आड़ में धमकियाँ देते हैं तो दूसरी ओर सरकार भी अल्पसंख्यकों पर हिंसक हमले करनेवाले
चरमपंथियों के खिलाफ़ कार्रवाई नहीं करती है।
रिपोर्ट में प्रस्ताव किया गया
कि सरकार ईश-निंदा कानून को रद्द करे और यदि उसे रद्द नहीं कर सकती तो उसके ग़लत इस्तेमाल
को रोके। साथ ही, अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए पुलिस को प्रशिक्षण दे ताकि वह बिना
किसी भेदभाव के कार्रवाई कर सके।