संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें की क्रोएशिया की दो दिवसीय प्रेरितिक यात्रा पर अंतिम रिपोर्ट
वाटिकन सिटी, 6 जून सन् 2011 (सेदोक): काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु, सन्त पापा बेनेडिक्ट
16 वें क्रोएशिया की दो दिवसीय यात्रा सम्पन्न कर रविवार 5 जून की रात्रि रोम लौट आये।
इटली से बाहर यह उनकी 19 वीं अन्तराष्ट्रीय प्रेरितिक यात्रा तथा कलीसिया के परमाध्यक्ष
रूप में पहली क्रोएशियाई यात्रा रही। इससे पूर्व स्व. सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय ने तीन
बार क्रोएशिया की यात्राएँ की थी। सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने स यात्रा के दौरान क्रोएशियाई
काथलिक परिवारों के राष्ट्रीय दिवस की अध्यक्षता की, युवाओं को अपना विशिष्ट सन्देश दिया
तथा यूरोपीय संघ में शामिल होने के इच्छुक बाल्कन प्रदेश के देशों को अपने रक्तरंजित
अतीत पर चिन्तन का मौका दिया। उन्होंने क्रोएशिया के लोगों को ख्रीस्तीय विरासत और नैतिक
मूल्यों को संरक्षित रखते हुए यूरोप और विश्व को बेहतर बनाने के लिए अपना विशिष्ट योगदान
देने के लिए प्रोत्साहन प्रदान किया।
श्रोताओ, माता मरिया और हंगरी के संत
स्तेफन को समर्पित भव्य महागिरजाघर में रविवार 5 जून को अपराहन काल में संत पापा बेनेडिक्ट
16 वें ने संध्या वंदना प्रार्थना का नेतृत्व किया। इस महागिरजाघर के अंदर लगभग 1000
कार्डिनल, धर्माध्यक्ष, धर्मसमाज, गुरूकुल छात्र तथा लोकधर्मी विश्वासी उपस्थित थे। कैथीड्रल
के बाहर उपस्थित विश्वासियों की सुविधा के लिए मेगा स्क्रीन लगाये गये थे।
कई
सदियों प्राचीन इस कैथीड्रल का भूकम्प, अग्निकाँड और युद्दों के कारण कई बार पुर्ननिर्माण
किया गया है। बारोक और नयी गोथिक शैली का उपयोग करते हुए आंतरिक रुप से सुसज्जित यह महागिरजाघर
भव्य, सुंदर और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध है।
कैथीड्रल में संत पापा का स्वागत
करते हुए जागरेब के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल जोसिप बोजानिक ने पोप की उपस्थिति का स्मरण
किया जब वे कार्डिनल के रूप में सन 2001 में अपने पूर्वाधिकारी, विश्वास और आस्था संबंधी
परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष कार्डिनल फ्रांजो सेपेर जो यहाँ दफनाये गये हैं, उनकी
स्मृति में आयोजित धर्मविधि में शामिल होने के लिए यहाँ आये थे। कार्डिनल बोजानिक ने
संत पापा को इस वर्ष मनाये जानेवाले उनके पुरोहित अभिषेक की 60 वां वर्षगाँठ के लिए बधाई
दिया।
भव्य कैथीड्रल में क्रोएशियाई तथा लातिनी भाषा में सम्पन्न हृदयस्पर्शी
पूजनधर्मविधि में गायनमंडली ने भक्तिगीतों को प्रस्तुत किया। इसके बाद संत पापा ने उपस्थित
भक्त समुदाय को सम्बोधित करते हुए जागरेब के धन्य कार्डिनल अलोसियस स्तेपिंचा का स्मरण
किया और उन्हें निर्भीक मेषपाल की संज्ञा दी जिन्होंने 20 वीं सदी में युद्ध के वर्षों
में दृढतापूर्वक मेषपालीय प्रेरितिक दायित्वों का निर्वाह किया।
संत पापा ने
कहा कि उनका वीरतापूर्ण जीवन आज भी क्रोएशिया के विश्वासियों को आलोकित करता है। उनकी
शहादत साम्यवादी दमन की त्रासदीपूर्ण अवधि के दौरान चर्च के खिलाफ हिंसा के अंत का संकेत
देता है। क्रोएशिया के विश्वासी और विशिष्ट रूप से याजक वर्ग तथा कार्डिनल स्तेपिंचा
ही साम्यवादी अत्याचार और चरमबद्ध उन्मूलन के केन्द्र थे जिसका लक्ष्य काथलिक चर्च को
नष्ट कर देना था। इस विशिष्ट कठिन अवधि में भी कलीसिया में धर्माध्यक्षों, पुरोहितों
और धर्मसमाजियों की कमी नहीं थी जो अपने विश्वास, चर्च और पोप के खिलाफ विश्वासघात करने
की अपेक्षा अपने जीवन न्योछावर कर देना चाहते थे। इन कठिनाइयो और परीक्षा के मध्य उनके
बीच एकता थी। उन्होंने विश्वास, आशा और उदारता जैसे मसीही मूल्यों को नहीं खोया। उनकी
एकता इस तथ्य का बयान करती है जो मानवीय नजरिये से व्याख्या नहीं की जा सकती है कि इतनी
कठोर और क्रूर सत्ता कलीसिया को झुका नहीं सकी।
संत पापा ने क्रोएशिया के विश्वासियों
का आह्वान किया कि देश के सामने प्रस्तुत सामाजिक और अन्य समस्याओं के सामने उनकी एकता
बनी रहे। उन्होंने धर्माध्यक्षों से कहा कि वे एक दूसरे के साथ तथा संत पेत्रुस के उत्तराधिकारी
के साथ संयुक्त रहकर फलप्रद सहयोग करते रहें ताकि वर्तमान समय की कठिनाईयों का सामना
कर सकें। उन्होंने धर्माध्यक्षों और पुरोहितों का आह्वान किया कि वे अन्य मसीही चर्चों
तथा ईसाईयों और मुसलमानों के मध्य मेलमिलाप के लिए प्रयास करते रहें।
धन्य कार्डिनल
स्तेपिंचा के शब्दों में उन्होंने कहा कि धर्म और विश्वास के सवालों में मेडियोकर होना
या औसत अथना मामूलीपन हमारे युग की सबसे बड़ी बुराई है। हम स्वयं को धोखे में नहीं रखें।
या तो हम काथलिक हैं या नहीं हैं। यदि काथलिक हैं तो यह हमारे जीवन के हर क्षेत्र में
दिखाई देना चाहिए।
संत पापा ने पुरोहितों और धर्माध्यक्षों से परस्पर सहयोग
करते हुए पवित्र आत्मा के कार्यों के प्रति खुला और विनम्र बने रहने का आग्रह किया ताकि
वे अपनी बुलाहट के अनुरूप नये सुसमाचार प्रचार में प्रभावी कार्यकर्त्ता बन सकें। धर्मसमाजियों
से उन्होंने कहा कि कलीसिया की उनसे बडी उम्मीदें हैं ताकि धन्य स्तेपिंचा के वीरोचित
साक्ष्य से युवाओं के मध्य बुलाहटों के नवीनीकरण को प्रेरणा मिले।
क्रोएशिया
की प्रिय कलीसिया साहस और विनम्रापूर्वक समाज का नैतिक अंतःकरण बनने का काम अपने ऊपर
ले। धन्य असोसियस स्तेपिंचा के समान बने। आज की चुनौतियाँ और समस्याएँ पिछली सदी से
भिन्न हैं लेकिन ये अधिक कठिन और कम दृश्यमान हैं। यह बहुत ही भारी काम है।
संध्या
प्रार्थना समारोह कार्यक्रम की समाप्ति से पूर्व संत पापा ने धन्य स्तेपिंचा की वेदी
के सामने कुछ क्षण प्रार्थना में व्यतीत किये।
श्रोताओ संत पापा ने क्रोएशिया
की दो दिवसीय प्रेरितिक यात्रा के दौरान परिवारों, युवाओं, नागरिक राजनैतिक, सांस्कृतिक,
धार्मिक और अकादमिक नेताओं तथा धर्मसमाजियों और लोकधर्मियों के साथ मिले और उन्हें अपना
संदेश दिया। रविवार संध्या वे क्रोएशिया के लोगों से विदा ले रोम पहुँचे। तेज बारिश होने
के कारण हवाई अडडे पर पूर्व योजना के अनुसार निर्धारित विदाई समारोह स्थगित करना पडा
लेकिन संत पापा ने हवाई अड्डे के प्रतीक्षालय में ही क्रोएशिया के अधिकारियों से विदा
ली। उन्होंने राष्ट्रपति इवो जोसिपोविक से कहा कि लोगों से हुए साक्षात्कारों ने उनके
मन और दिल में गहन छाप छोड़े हैं। इन अनुभवों ने उन्हें क्रोएशिया के लोगों और उनके इतिहास
का अंग होने का अहसास दिया है।
इन साक्षात्कारों में सबसे बड़ी घटना थी- क्रोएशियाई
काथलिक परिवारों के प्रथम राष्ट्रीय दिवस पर जागरेब के घुड़दौड़ मैदान में रविवार को
आयोजित समारोही ख्रीस्तयाग जिसमें लगभग 4 लाख विश्वासी शामिल हुए। संत पापा ने मसीही
विश्वासियों को अपने विश्वास में सुदृढ़ किया और उन्हें प्रोत्साहन दिया कि वे ख्रीस्त
का तथा अपने दैनिक जीवन में सच्चे ख्रीस्तीय अंतःकरण के मूल्यों का साहसपूर्वक साक्ष्य
दें। समाज को आदर्श ख्रीस्तीय परिवारों के साक्ष्यों की बहुत अधिक जरूरत है ताकि आक्रामक
उदासीनका के आधुनिक रुपों का सामना किया जा सके। उन्होंने परिवारों के छोटी कलीसिया बनने
का निमंत्रण दिया जहाँ एकता, सामुदायिकता और प्रार्थना है तथा जो एक दूसरे के प्रति प्रेम
का साक्ष्य दे। उन्होंने टूटते परिवारों, अविवाहित युग्मों तथा विवाह के विभिन्न रूपों
से मसीही परिवारों के सामने प्रस्तुत सच्चे खतरे और चुनौती को देखते हुए स्वीकार किया
कि इसके लिए समर्पण और बलिदान की जरूरत होगी। उन्होंने परिवारों से आग्रह किया कि वे
साहसी बनें तथा धर्म के प्रति उदासीन मानसिकता को हावी नहीं होने दें जिसके अनुसार युग्मों
का एक साथ रहना विवाह की तैयारी या विवाह का विकल्प है। संत पापा ने युवाओं से आग्रह
किया कि विवाह के द्वारा एक दूसरे के प्रति जीवन भर समर्पित होने से नहीं डरें तथा जीवन
की रक्षा और संचार करें।
संत पापा ने शनिवार 4 जून को लगभग 50 हजार युवाओँ के
लिए संध्या जागरण प्रार्थना समारोह का नेतृत्व कर उन्हें परामर्श दिया कि येसु उनके मित्र
हैं जिसपर वे भरोसा कर सकते हैं जो उन्हें कदापि निराश नहीं करेंगे। उन्होंने युवाओं
को आसान सफलता पाने की लुभावनी प्रतिज्ञाओं, सतही तथा भौतिक वस्तुओं पर आधारित जीवन शैली
के खतरों के प्रति सचेत किया।
संत पापा ने जागरेब नेशनल थियेटर में कला, संस्कृति,
राजनीति, वाणिज्य,उद्योग, अकादमिक और शैक्षणिक जगत के लगभग 700 विशेषज्ञों को सम्बोधित
करते हुए अंतःकरण की पुर्नखोज करने की जरूरत पर बल दिया क्योंकि स्वतंत्र और वैध समाज
तथा सामाजिक समानता, सामाजिक नागरिक और लोकतांत्रिक जीवन की गुणवत्ता के लिए सत्य और
भलाई पर निहित अंतःकरण बुनियादी जरूरत है। यदि धर्म और नैतिकता को सामाजिक अंतःकरण से
अलग करने के चल रहे प्रयास सफल होते हैं तो पाश्चात्य जगत के वर्तमान संकट जारी रहेंगे।
यह आह्वान मन परिवर्तन तथा गहन विवेचना करने का निमंत्रण है।
यूरोपीय संघ में
शामिल होने की दहलीज में खडे क्रोएशिया के लिए निमंत्रण और चुनौती है कि वह यूरोपीय संघ
के अंदर अपनी विशिष्ट ईसाई विरासत तथा नैतिक और सांस्कृतिक मूल्यों को संरक्षित रख इनका
प्रसार करे।
संत पापा की अध्यक्षता में सम्पन्न कार्यक्रमों में उपस्थित ईसाई
बहुल क्रोएशिया के विश्वासियों का उत्साह और गतिशीलता यह बताती है कि उनका विश्वास या
धार्मिक आस्था मेडियोकर या औसत दर्जे का नहीं है। लोगों ने जिस खुलेपन और जोश से संत
पापा और उनके संदेश का स्वागत किया यह बहुत प्रेरणा और उत्साहदायक है।