2011-06-05 12:45:03

ज़गरेबः रविवारीय ख्रीस्तयाग प्रवचन में सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने ख्रीस्तीय परिवारों की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया


ज़गरेब, 5 जून सन् 2011 (सेदोक): क्रोएशिया की यात्रा के दूसरे और अन्तिम दिन, रविवार पाँच जून को काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने ख्रीस्तीय परिवारों की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया।

रविवार, पाँच जून को काथलिक बहुल देश क्रोएशिया ने परिवारों को समर्पित राष्ट्रीय परिवार दिवस मनाया। ज़गरेब के घुड़दौड़ मैदान में इस उपलक्ष्य में सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने लगभग चार लाख विश्वासियों के लिये ख्रीस्तयाग अर्पित किया।

ख्रीस्तयाग प्रवचन में सन्त पापा ने पारिवारिक मूल्यों की प्रकाशना की तथा सभी प्रशासनिक एवं सरकारी संस्थाओं से परिवारों को समर्थन देने का आह्वान किया।

सन्त पापा ने कहा, ............."अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, क्रोएशियाई काथलिक परिवारों के पहले राष्ट्रीय दिवस पर आपके देश आने हेतु क्रोएशियाई काथलिक धर्माध्यक्षों के निमंत्रण को मैंने हर्षपूर्वक स्वीकार किया है। परिवार पर क्रेन्द्रित ध्यान एवं समर्पण के लिये मैं आभार प्रकट करता हूँ, सिर्फ इसलिये नहीं कि आज यह बुनियादी मानव वास्तविकता, अन्य देशों के सामान आपके देश में, कठिनाईयों एवं ख़तरों का सामना करने के लिये बाध्य है, और इसे सुसमाचार प्रचार वं समर्थन की विशेष आवश्यकता है बल्कि इसलिये भी कि ख्रीस्तीय परिवार विश्वास, कलीसियाई सहभागिता एवं कलीसिया के जटिल मिशन के विकास हेतु एक निर्णायक संसाधन हैं।"

उन्होंने कहा, ...... "यह सभी जानते हैं कि ख्रीस्तीय परिवार ख्रीस्त के प्रेम का एक विशिष्ट चिन्ह है तथा इसीलिये वह सुसमाचार उदघोषणा में अपना योगदान देने के लिये बुलाया गया है। तीन बार क्रोएशिया की यात्रा करनेवाले धन्य सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय ने कहा था, "ख्रीस्तीय परिवार सक्रिय एवं ज़िम्मेदार रूप से कलीसिया के मिशन में योगदान देने के लिये बुलाये गये हैं।" सन्त पापा ने कहा कि इस प्रकार ख्रीस्तीय परिवार विश्वास के प्रसार एवं संचार का पहला माध्यम बने हैं तथा आज भी अनेक क्षेत्रों में वे ख्रीस्त के सुसमाचार का प्रसार कर समाज को बेहतर बनाने में अपना योगदान दे सकते हैं।"

आज के समाज में, पहले से कहीं अधिक, ख्रीस्तीय परिवारों की उपस्थिति को आवश्यक बताते हुए सन्त पापा ने कहा ........ "दुर्भाग्यवश, विशेष रूप से यूरोप में, हम धर्म के प्रति बढ़ती उदासीनता को देखने के लिये बाध्य हैं जो, जीवन से ईश्वर को बाहर करने तथा परिवार के विच्छेद तक मनुष्य को ले जाती है। सत्य के प्रति समर्पण के बिना स्वतंत्रता को परम एवं व्यक्तिपरक कल्याण का माध्यम मान लिया गया है। भौतिक वस्तुओं के उपभोग एवं क्षणभंगुर अनुभवों को आदर्श रूप में पोषित किया जा रहा है और ऐसा कर अन्तरवैयक्तिक सम्बन्धों एवं गहन मानवीय मूल्यों की गुणवत्ता को धुँधला बनाया जा रहा है; प्रेम को भावुक आवेश तथा नैसर्गिक मनोवेग मात्र तक सीमित कर दिया गया है जिसमें स्थायी सम्बन्ध बनाने की परस्पर इच्छा महसूस नहीं होती और न ही जीवन के प्रति उदारता को महत्व दिया जाता है।"

सन्त पापा ने कहा कि इस प्रकार की मानसिकता का विरोध करने के लिये हम बुलाये गये हैं। उन्होंने कहा कि ख्रीस्तीय परिवारों के महत्व की प्रकाशना करते समय हम जीवन के मूल्यों को कैसे भुला सकते हैं? आज के समाज में विवाह से पूर्व संग रहने की विकृत प्रवृत्ति पर चिन्ता व्यक्त करते हुए सन्त पापा ने ख्रीस्तीय परिवारों का आह्वान किया कि वे विवाह संस्कार द्वारा एक दूसरे के प्रति समर्पण की अभिव्यक्ति करें। उन्होंने कहा, "प्रिय परिवारो, आप साहसी बनें, धर्म के प्रति उदासीन मानसिकता के आप शिकार न बनें जो विवाह से पूर्व संग रहने को तैयारी की अवधि का नाम देती है तथा विवाह की जगह लेने का प्रयास करती है। आप अपने साक्ष्य द्वारा विश्व को यह दिखा दें कि ख्रीस्त के समान निःशर्त एवं निःस्वार्थ रूप से प्यार करना सम्भव है। प्रिय परिवारो, आप पितृत्व एवं मातृत्व पर गर्व करें क्योंकि जीवन के प्रति उदारता भविष्य के प्रति उदारता है। प्राकृतिक नैतिक विधान के प्रति सम्मान लोगों को स्वतंत्र बनाता तथा उन्हें भविष्य का सामना करने के लिये तैयार करता है।"









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